नीतीश को लालू का पत्र, मरने से पहले तुम्हें PM और तेजस्वी को CM बनते देखना चाहता हूं…

पटना : मेरे प्रिय दोस्त नीतीश कुमार, कल तुम्हारा जन्मदिन था, बधाई स्वीकार करो, फोन पर बधाई दे चुका हूं बावजूद इसके एक बार और शुभकामना संदेश भेज रहा हूं. फोन पर अधिक बात नहीं कर पाता हूं इसलिए इस पत्र के माध्यम से तुम्हें बहुत कुछ कहना है. तुम और हम जीवन के अंतिम पड़ाव पर खड़े हैं.

हम दोनों ने राजनीति में उस मुकाम को प्राप्त किया जो बहुत लोगों के लिए असंभव है. ना तुम्हारे परिवार में किसी का राजनीति से कोई वास्ता था और ना मेरे परिवार में कोई राजनीति का क ख ग घ जानता था. हां तुम्हारे पिताजी स्वतंत्रता सेनानी थे इसलिए तुम्हारे घर में मेरे घर से अधिक क्षमता और सम्पन्नता थी और बड़े-बड़े लोगों तक पहुंची थी. भुखमरी क्या होती है वह तुमने कभी देखा ना होगा. हमने उसे जिया है. मैं पटना पढ़ने के लिए नहीं बल्कि चाचा के घर इसलिए पहुंचा था ताकि समय पर भोजन मिल सके. मैट्रिक परीक्षा पास करने का उद्देश्य भी मात्र इतना ही था कि किसी तरह पशु चिकित्सालय में सरकारी नौकरी मिल जाए.

नीतीश तुम्हें याद है एक बार पटना विश्वविद्यालय के एक आंदोलन के दौरान जब पुलिस वाले आ पहुंचे थे तो मैं वहां से भाग गया था. पकड़े जाने पर मैंने उस तुम्हारा नाम बता दिया और खुद जेल जाने से बच गया. तुझे याद होगा कि अगले दिन मैंने थाने में जाकर तुमसे मुलाकात की और तुम्हारे लिए मांस और भात बनाकर ले गया था. इस बात को याद दिलाने का उद्देश्य मात्र इतना है कि हमने और तुमने बहुत कुछ ऐसा जिया है जो कि दूसरों को संभव नहीं है. दोस्त से दुश्मन बने और फिर दुश्मन से महागठबंधन बनाकर दोस्त बने.

मुझे आज भी वह दिन याद है जब दिल्ली स्थित बिहार भवन में तुम मुझसे मिलने आए थे और ललन सिंह के लिए लोकसभा सीट मांगा था. उस समय मैं सत्ता के मद में इतना चूर था कि किसी को सुनता ही नहीं था. मैंने इतना तक नहीं सोचा कि नीतीश मेरा दोस्त है और वह अगर कुछ कहने आया है तो उसे ध्यान से सुनना चाहिए. मैंने धिक्कार कर तुम्हें वहां से भगा दिया.

तुम वहां से निकले और एकला चलो का रास्ता अपनाया. पहले समता पार्टी और फिर जनता दल यूनाइटेड का गठन किया. मुख्यमंत्री बनने के लिए हम दोनों ने संघर्ष किया लेकिन तुम्हारा संघर्ष मुझसे अधिक था. मुझे मुख्यमंत्री बनने के लिए सिर्फ पार्टी के विधायकों और दल के शीर्ष नेताओं का समर्थन चाहिए था लेकिन तुमने सीएम बनने के लिए उस लालू यादव से टक्कर लिया जो कभी बिहार के सिरमौर हुआ करता था. जिसकी एक आवाज पर बिहार की जनता उमड़ जाती थी. यह वह दौर था जब कोई भी आदमी लालू का विरोध ना तो करना चाहता था और ना सुनना चाहता था.

नीतीश तुम एकमात्र ऐसे विरोधी नेता थे जिसने कभी मुझ पर कोई केस नहीं करवाया. तुमने राजनीति में सदैव एक अपना नियम बनाया जिसका पालन हमेशा करते रहे. मुझे नहीं याद है कि कब तुमने मुझ पर व्यक्तिगत हमला किया था. हम दोनों नेता हैं तो राजनीति करना आम बात है.

जब साल 2005 में हमारी पार्टी सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं बिहार की सत्ता में फिर से वापसी कर पाऊंगा. 2005 से लेकर अब तक तुमने सत्ता की बागडोर संभाले रखा और बिहार को नए आयाम तक पहुंचाया. ऐसा नहीं है कि मेरे कार्यकाल में मैंने बिहार को कुछ नहीं दिया. मैं जिस दौर में सीएम बना था उस दौर में जाति के नाम पर लोगों को अधिक प्रताड़ित किया जाता था. पिछड़े समाज के लोगों को ना तो बराबर में बैठने दिया जाता था और ना खड़ा होने दिया जाता था.

साल 2015 में तुम्हारे कहने पर हम लोगों ने महागठबंधन बनाया. तुम्हारी नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन करते हुए हम लोग वापस सत्ता में लौटे. मैं जानता था कि मेरी राजनीति खत्म हो चुकी है मैं भले जो कुछ कर लूं लेकिन अब मेंस्ट्रीम पॉलिटिक्स में कभी नहीं लौट सकता. यही कारण था कि मैंने तुम्हारे पास राजनीति की एबीसीडी सीखने के लिए तेजस्वी और तेजप्रताप को संग लगाया. तुमने तेजस्वी को अपना बेटा मान अपने बगल में डिप्टी सीएम का पद दिया जबकि वह अभी काफी छोटा था.

यह तुम्हारी सीख का ही कारण है कि जब तुम महा गठबंधन तोड़ कर वापस भाजपा में लौटे तो तेजस्वी ने सब कुछ अच्छे से संभाल लिया.. इसी का परिणाम था कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी के नेतृत्व में राजद ने शानदार प्रदर्शन किया. मुझे नहीं पता लेकिन तेजस्वी चुनाव परिणाम के बाद से ही बोल रहा था कि हम सत्ता में आएंगे हम सत्ता में आएंगे जबकि रिजल्ट हमारे अनुरूप नहीं था. संभव है कि तुम्हारे और तेजस्वी के बीच में कोई डील हुई होगी.

कल विधानसभा में तेजस्वी को भाषण देते एक बार फिर सुना तो लगा जैसी जवानी का नीतीश कुमार और लालू यादव बोल रहा हो. बीजेपी वालों की आंखों में आंखें डाल कर शेर की तरह सिंहनाद कर रहा था. वह तुम्हारे बगल में बैठा था. उसे बहुत कुछ सीखना है. विधाता ने उसे 2 सीएम का बेटा बनाया तो नीतीश जैसे मुख्यमंत्री का भतीजा बनाया. उसे अभी बहुत कुछ सीखना है. कभी उसका साथ मत छोड़ना.

नीतीश तुम्हें याद है कि जब तेजस्वी विपक्ष में था एक दिन बिहार विधानसभा में उसके रवैए के प्रति काफी गुस्सा गए थे. तुमने अपना आपा तक खो दिया था. तुमने लाल होते कहा था कि मेरे दोस्त सामान जैसे लालू के बेटे हैं इसलिए कुछ नहीं कहता हूं. सच मानो उस दिन तुम्हारा यह वीडियो देखकर काफी गर्व महसूस हो रहा था.

अंत में… सिंगापुर से किडनी का ऑपरेशन करवा कर लौटा हूं. मेरी बेटी रोहिणी ने जो मेरे लिए किया मैं उसका शुक्रगुजार हूं.. जीवन और मृत्यु के बीच बस एक ही अंतिम इच्छा है जो इस पत्र के माध्यम से तुम्हें कहना चाहता हूं. मुझे नहीं पता कि मेरे पास कितनी आयु बची है लेकिन जो भी बची है वह काफी कम है. इस जीवन में हर एक इंसान सब कुछ नहीं पा जाता लेकिन कोशिश तो कर सकता है.

मैं चाहता हूं कि साल 2024 के चुनाव में तुम महागठबंधन का नेतृत्व करो और मोदी को टक्कर देते हुए उसे सत्ता से बाहर करो. अगर देश तुम्हें प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार करता है कि यह देश वासियों के लिए एक सुनहरा अवसर होगा. तुमने बिहार को जीरो से हीरो बनाया है. तुम्हारे पास काम करने का विजन है. तुम धर्म और जाति की राजनीति नहीं करते हो. इसलिए चाहता हूं कि तुम एक बार कम से कम प्रधानमंत्री बनो और तेजस्वी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बनाओ…. होली की शुभकामना के साथ पत्र को यहीं समाप्त करता हूं विशेष मिलने पर…

नोट : यह पत्र पूर्ण रूप से काल्पनिक है और होली, की हुड़दंग को ध्यान में रखकर लिखा गया है, वास्तविकता से इसका कोई संबंध नहीं है

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