पकौड़ी बेचने वाली की बिटिया बनी IAS, आज भी सड़क किनारे ठेला लगाता है बाप, 25 सालों से कर रहा है मेहनत

जिस दिन बेटी का परिणाम घोषित हुआ और उसके अफसर बनने की बात सामने आई, उसके अगले दिन भी हमेशा की तरह गोविंद अपना ठेला लेकर पकौड़ी बेचने निकल पड़े.. यह कहानी केवल एक IAS की सफलता की नहीं है; बल्कि एक ऐसे पिता की भी है जो प्रेम, सादगी, संघर्ष और समर्पण की जीती-जागती मिसाल हैं। उनमें हम सब अपने पिता की छवि को देख सकते हैं।

दीपेश कुमारी की परवरिश ही इस तरह की गई थी कि अपने लक्ष्य के आगे उन्होंने ना आर्थिक तंगी देखी, ना अन्य परेशानियां। वह बस आगे बढ़ती रहीं और उनकी मज़बूत इच्छाशक्ति ने उन्हें IAS बना दिया। संघर्ष से कामयाबी तक की यह कहानी शुरू हुई Rajasthan के भरतपुर के अटल बंद क्षेत्र निवासी गोविंद के घर से।

गोविंद बीते 25 सालों से ठेले पर भाजिया पकौड़ी बेच कर अपने पांच बच्चों और पत्नी का पालन-पोषण कर रहे थे। घर के नाम पर एक कमरा था, जिसमें पूरा परिवार गुज़ारा करता था।रसोई के नाम पर इसी कमरे के एक कोने में गैस रखी रहती थी। गोविंद पकौड़ी बेच कर ही अपनी दो बेटियों और तीन बेटों को पढ़ा रहे थे। घर में आर्थिक अंधेरा ज़रूर था लेकिन उनके बच्चों में उन्हें हमेशा उम्मीद की लौ दिखती। उनकी यह उम्मीद उस समय पूरी हो गई जब उनकी बेटी दीपेश कुमारी विपरीत परिस्थितियों में भी कठिन परिश्रम कर UPSC 2021 में 93वी रैंक हासिल कर IAS अफसर बन गईं।

10वीं तक की पढ़ाई उन्होंने भरतपुर शहर के ही शिशु आदर्श विद्या मंदिर से की। दीपेश कुमारी ने 10वीं कक्षा में 98% और 12वीं में 89% अंक प्राप्त किए। इसके बाद उन्होंने जोधपुर के MBA इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की और फिर IIT मुंबई से M.Tech की पढ़ाई की। दीपेश कुमारी ने दिल्ली से UPSC की तैयारी की और दूसरे प्रयास में उन्होंने AIR 93वीं हासिल की। जिस दिन बेटी का परिणाम घोषित हुआ और उसके अफसर बनने की बात सामने आई, उसके अगले दिन भी हमेशा की तरह गोविंद अपना ठेला लेकर पकौड़ी बेचने निकल पड़े। बेटी की मेहनत और पिता के इस संघर्ष को हमारा सलाम

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