IAS बनने का पागलपन, डांट पड़ने के बाद भी लाखों की सैलरी पैकेज वाली नौकरी को छोड़ा, बन गई अफसर
UPSC की तैयारी के लिए छोड़ी नौकरी, पिता से पड़ी डांट, 83वीं रैंक के साथ बनीं IAS अधिकारी : हौसले बुलंद हों, तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता, राह में आने वाली असफलताएं भी नहीं। इस बात को सच साबित कर दिखाया आईएएस निधि सिवाच ने। दो बार UPSC की परीक्षा में फेल होने के बावजूद, उन्होंने अपनी हर असफलता व गलती से सीख ली। वह पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ीं और महज़ एक साल की अथक मेहनत में ही, सफलता (IAS Success Story) हासिल कर IAS अधिकारी बन गईं।
अपने तीसरे प्रयास में, उन्होंने 83वीं रैंक प्राप्त की। कैसे दो असफल प्रयासों के बाद, उन्होंने खुद को उठाया और अपनी तैयारी की रणनीति बदलकर सफलता प्राप्त की, खुद बता रही हैं आईएएस अधिकारी निधि सिवाच।
अपने सपने को पूरा करने का जुनून और निधि का अपने ऊपर विश्वास ही था, जिसके कारण उन्होंने फिर से परीक्षा की तैयारी करने के लिए अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़ दी। इससे पहले संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में, वह दो बार असफल प्रयास कर चुकी थीं।
सीएसई-2018 में, 83वीं अखिल भारतीय रैंक हासिल करने वाली निधि सिवाच (28) ने द बेटर इंडिया को बताया, “यह एक बड़ा जोखिम था। ऐसा करने के लिए मुझे अपनी ज़िंदगी को होल्ड पर रखना पड़ा, लेकिन मुझे खुशी है कि अंत में इसका परिणाम भी उतना ही अच्छा मिला।”
उन्होंने अपने जीवन के कुछ शुरुआती साल फरीदाबाद में बिताए। बाद में उनके माता-पिता परिवार के साथ गुरुग्राम में आकर रहने लगे। ताकि निधि और उनके भाई-बहनों को अच्छी स्कूली शिक्षा मिल सके। अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ाना उनकी माँ की जिद थी। वह कहती हैं, “मेरी माँ स्कूल नहीं जा सकीं और पिता भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए थे। शायद इसी कारण, वे चाहते थे कि हम सभी भाई-बहन अच्छे से पढ़ाई करें।”
वह कहती हैं, “भले ही हमारे शुरुआती साल मुश्किल भरे रहे, लेकिन उन्होंने हम सभी भाई-बहनों को कभी इसकी भनक तक नहीं लगने दी। हमने अपने माता-पिता को मेहनत करते हुए देखा है। मेरी माँ न केवल हमारी और घर की देखभाल करती थीं, बल्कि दुकान में मेरे पिता का हाथ भी बंटाती थीं।”
निधि ने, सोनीपत (हरियाणा) के दीनबंधू छोटूराम विश्वविद्यालय, से मकैनिकल इंजीनियरिंग की है। वह हमेशा से ही बहुत मेहनती छात्रा रहीं। वह बताती हैं, “मैं जानती थी कि शिक्षा ही वह जरिया है, जिससे मैं अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बेहतर बना सकती हूं। इसलिए मैंने हमेशा स्कूल में अच्छे अंक लाने के लिए बहुत मेहनत की।”
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