IIT छात्रों का कमाल, मैथिली-भोजपुरी में होगा हाई कोर्ट-सुप्रीम कोर्ट के कानूनी दस्तावेज का अनुवाद

आईआईटी पटना के छात्रों ने असंभव को संभव कर दिखाया है। उनके ई सफलता से मातृभाषा प्रेमियों में खुशी की लहर दौर गई है।

निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के दस्तावेजों को भारतीय नागरिक अब अपनी मातृभाषा में देख सकेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से देश की 24 भाषाओं के लिखित दस्तावेजों का मिनटों में अंग्रेजी, हिन्दी या अन्य किसी भी भाषा में अनुवाद हो सकेगा। यह व्यवस्था लाने में आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. पुष्पक भट्टाचार्या की विशेष भूमिका है।

प्रो. पुष्पक भारत सरकार द्वारा गठित एआई रिसर्च कमेटी के अध्यक्ष हैं। एआई के लिए वे नीति आयोग के सदस्य भी बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस वर्ष के अंत तक लागू होगी। इसके बाद हाईकोर्ट से लेकर निचली अदालत के दस्तावेजों और फैसले का अनुवाद होगा। अदालती फैसलों में अब अलग-अलग भाषाओं के दस्तावेजों के कारण देरी नहीं होगी। .

मैथिली व भोजपुरी भी शामिल: सी-डैक पुणे और आईआईटी पटना द्वारा संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल मैथिली समेत 22 भाषाओं के दस्तावेजों का अनुवाद करने की प्रणाली विकसित की गई है। 22 भाषाओं के अलावा भोजपुरी में भी अनुवाद किया जाएगा। प्रो. पुष्पक ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद सबसे पहले निचली अदालतों के दस्तावेजों का अनुवाद किया जा रहा है। कई स्तरों पर इसका सफलतापूर्वक ट्रायल किया जा चुका है।

आईआईटी पटना के निदेशक ने बताया कि भारत में अलग-अलग संस्थानों, लाइब्रेरी आदि में अलग-अलग भाषाओं के 1500 साल पुराने दस्तावेज पड़े हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में दस्तावेज अलग-अलग बिखरे पड़े हैं। बैंक, एलआईसी, इनकम टैक्स, समेत कई सरकारी विभागों में पुराने दस्तावेजों को ढूंढ़ने में परेशानी होती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से इन दस्तावेजों की न सिर्फ फाइलिंग हो सकेगी बल्कि एक क्लिक पर इन्हें ऑनलाइन अपनी भाषाओं में पढ़ा भी जा सकेगा।

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