छठ महापर्व में आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे व्रती, जानें शुभ मुहूर्त

PATNA : चार दिवसीय छठ महापर्व (Chhath Mahaparva) का आज तीसरा दिन है. इसी क्रम में आज अस्ताचलगामी सूर्य को महापर्व का पहला अर्घ्य (First Arghya to Sun) अर्पित किया जाएगा. शनिवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ ही सूर्योपासना के इस महापर्व का समापन होगा. छठ पूजा एक ऐसा त्‍योहार है जो पूरे बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है. छठ के जगह-जगह गूंज रहे गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है. छठ पूजा के पावन पर्व पर भगवान सूर्यदेव को प्रथम अ‌र्घ्य शुक्रवार की शाम 5:17 बजे दिया जाएगा. वहीं अरुणोदयकालीन अ‌र्घ्य शनिवार की सुबह 6:32 बजे दिया जाएगा.

आज के दिन प्रसाद तैयार करने के बाद शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अ‌र्घ्य का सूप खूबसूरती के साथ सजाया जाता है. व्रती के साथ-साथ परिवार व पड़ोस के लोग भी अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए घाट पर जाते हैं. सभी छठव्रती एक तय तालाब या नदी के किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य देकर दान करते हैं. सूर्य उपासना का यह महापर्व कठिन तपस्या से कम नहीं है. अधिकतर महिलाएं ही यह व्रत रखती हैं. कुछ पुरुष भी व्रत करते हैं. 36 घंटे तक निर्जला व्रत करने वाली महिलाओं को परवैतिन भी कहा जाता है. इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना पड़ता है. भोजन के साथ साथ आरामदेह बिछावन का भी त्याग करना पड़ता है. फर्श पर एक चादर या कंबल बिछाकर रात काटनी होती है. इस पर्व में व्रती नए कपड़े बिना सिलाई वाली पहनती हैं. इस व्रत को उठाने के बाद तब तक करना पड़ता है जब तक कि कोई अगली पीढ़ी इसके लिए तैयार न हो जाए. अधिकतर महिलाएं संतान की चाहत व उसकी कुशलता के लिए यह व्रत करती हैं. बता दें कि छठ पर्व के दूसरे दिन यानी गुरुवार को जलार्पण के बाद छठव्रतियों ने गंगा घाटों पर रोटी व खीर से खरना का प्रसाद बना विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. सबसे पहले व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया. फिर परिवार के लोगों व संबंधियों के बीच प्रसाद का वितरण हुआ. नदी में स्नान करने से पहले व्रतियों ने गंगा जल लाकर अपने घरों को धोकर पवित्र किया.

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