बिहार में लॉकडाउन के दौरान डाकघर में खुले 27 लाख खाते

Patna: बिहार भर के डाकघरों में लॉकडाउन के दौरान 27 लाख से अधिक खाते खोले गए. सितंबर 2018 में इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक की शुरुआत की गई थी. तब से लेकर जून, 2020 तक 52 लाख 58 हजार 406 बैंक खाते खोले गए, जिनमें 27 लाख 17 हजार 849 खाते लॉकडाउन में खुले.

सबसे अधिक पश्चिम चंपारण जिले में 2 लाख 5 हजार 869 खाते खोले गए. सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर इसी जिले में लौटे हैं. जैसे-जैसे अन्य राज्यों से प्रवासी बिहार आने लगे और राज्य सरकार के अनुदान का लाभ मिलने लगा, वैसे-वैसे डाकघरों में खाते खोलने की संख्या में इजाफा होने लगा. अब भी रोज 40 से 50 हजार खाते खुल रहे हैं.

इसी तरह अररिया जिले में एक लाख 6 हजार 297, भागलपुर में एक लाख 27 हजार 554, कटिहार में एक लाख 62 हजार 671, किशनगंज में एक लाख 46 हजार 343, मधुबनी में एक लाख 7 हजार 314, मोतिहारी में 2 लाख 5 हजार 869, मुजफ्फरपुर में एक लाख 32 हजार 220, पूर्णिया में एक लाख 2 हजार 675, समस्तीपुर में एक लाख 10 हजार 611, सीवान में एक लाख 50 हजार 790, सीतामढ़ी में 88 हजार 492, पटना में 70 हजार 154, मधेपुरा में 80 हजार 820 और सहरसा जिले में 73 हजार 588 खाते खोले गए.

लॉकडाउन में डाकघर ने आधार आधारित पेमेंट सिस्टम के तहत 14 लाख 35 हजार 932 लोगों के बीच 202 करोड़ का भुगतान किया, जबकि दो साल के दौरान इस सिस्टम में कुल 239 करोड़ का ही भुगतान किया गया था. इस सिस्टम के तहत अगर किसी भी ग्राहक का दूसरे बैंक में भी बचत खाता है तो वह आधार नंबर देकर 10 हजार रुपये का भुगतान ले सकता है.

इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक के डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम के तहत लॉकडाउन में 17 लाख 61 हजार 99 लोगों के बीच 254 करोड़ का भुगतान किया गया, जबकि पिछले दो साल में 26 लाख 10 हजार 773 लोगों के बीच 514 करोड़ का भुगतान हुआ था. इसमें राज्य व केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना,, मातृत्व योजना, मनरेगा, प्रवासी मजदूर वृद्धापेंशन, किसान सम्मान योजना की राशि है.

लॉकडाउन के दौरान डाकघर में कुल 27 लाख 17 हजार 849 बैंक खाते खोले गए हैं. इनमें अधिसंख्य बैंक खाते प्रवासी मजदूर के हैं.

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