चीन से तनाव के बीच इस्लामिक देशों के संगठन से भारत को झटका?

इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कॉपरेशन यानी ओआईसी के कॉन्टैक्ट ग्रुप के विदेश मंत्रियों की आपातकालीन बैठक में कहा गया है कि भारत सरकार की ओर से 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को लेकर जो फ़ैसला लिया गया है और नए डोमिसाइल नियम लागू किए गए हैं, वो संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और अंतरराष्ट्रीय क़ानून जिसमें चौथा जिनेवा कंवेंशन भी शामिल है, उसका उल्लंघन है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को मानने की भारत की प्रतिबद्धता का भी उल्लंघन है.

इसके साथ ही बैठक में संयुक्त राष्ट्र की उन दो रिपोर्टों का स्वागत किया गया है जिसमें यह गया है कि भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में वहां के लोगों के मानवाधिकार का व्यवस्थित तरीक़े से हनन किया गया है.

ये दोनों ही रिपोर्ट जून 2018 और जुलाई 2019 में आई थीं.

ओआईसी का यह कॉन्टैक्ट ग्रुप जम्मू-कश्मीर के लिए 1994 में बना था. बैठक में 5 अगस्त, 2019 के बाद भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में बदतर हुए मानवाधिकार की स्थिति और हालात पर चिंता ज़ाहिर की गई.

इस कॉन्टैक्ट ग्रुप के सदस्य हैं- अज़रबैजान, नीज़ेर, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की. ओआईसी के महासचिव डॉक्टर यूसुफ़ अल-ओथइमीन ने कहा, “ओआईसी इस्लामी समिट, विदेश मंत्रियों की कौंसिल और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के हिसाब से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकालने को लेकर प्रतिबद्ध है.”

बैठक में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की 16 अगस्त, 2019 और 15 जनवरी, 2020 की बैठक जो भारत की कार्रवाई को लेकर हुई थी, उसका स्वागत किया गया है.

ओआईसी ने जम्मू-कश्मीर पर अपने पुरानी स्थिति और प्रस्तावना को लेकर प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है और कश्मीरी अवाम के आत्मनिर्णय के अधिकार की क़ानूनी लड़ाई के समर्थन का फिर से दोहराया है.

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