मोदी सरकार ने माना मंदी की दौर से गुजर रहा देश, हर सेक्टर में कम हो रही नौकरी

अब लगभग पक्ष और विपक्ष दोनों पक्षों ने यह मान लिया कि देश मंदी के दौर में है। और इस मंदी के आगे गहराने के ही संकेत है। नौकरियां जाने का डर और लगभग हर सेक्टर गंभीर दिक्कत में है। यह भी अब सरकार मान रही है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि पूरे देश में कहीं से कोई डिमांड पैदा नहीं हो रही है जो आर्थिक विकास की पहली और सबसे बड़ी मांग है।

इस मंदी के बीच यह और भी चिंता में डालने वाली बात है कि कुछ साल पहले तक पूरे विश्व में स्वीट स्पॉट बनने वाले भारत में यह मंदी मेइ इन इंडिया है। यह मंदी खुद के अंदर इंटनरल फैक्टर और नीतियों के कारण पैदा हुए हैं। हम 6 फीसदी जीडीपी ग्रोथ तक पाने में हांफ रहे हैं जो 2014 में मोदीजी 10 फीसदी की बात करते थे। इन मंदियों का सीधा असर लोगों की कमाई और नाैकरी पर पड़ने लगा है। थोक में नौकरियां जा रही है। नयी नियुक्ति फ्रीज है।

लेकिन पूरे देश में कहीं कोई मंदी की चिंता तक नहीं है। जो तबका सीधे तौर पर इससे प्रभावित होगा या हो रहा है वह पूरे उन्माद में है। परिवार चलाने के लिए पैसे की जरूरत पड़ेगी भावना की नहीं,इस छोटी बात को लोग समझना नहीं चाह रहे हैं।

जाहिर है भावना प्रधान देश में भावना युक्त चीजें भरपूर ग्रोथ कर रही है। लोग खुश हैं। किसी ने सही कहा कि मोदी जी की खासियत है कि राजनीतिक रूप से वह अपना कार्ड इतने बेहतरीन से फेंकते हैं कि आर्थिक विकास जैसी चीजें कहीं कोई मायने नहीं रखती है। देखये कि देश के अंदर पैदा हुई मंदी के बीच यह भी सही है कि मोदी जी की टीआरपी और लोकप्रियता ऑ टाइम हाई है।

-मैं बार-बार इसलिए लिख रहा हूं कि कल जाकर कोई पूछेगा कि पूरा देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा था तो आप क्या कर रहे थे? तो मुझे कोई गिल्ट नहीं होगा।
लेखक : नरेंद्र नाथ झा, वरिष्ठ पत्रकार

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *