सवाल सुनते ही भड़क गए आनंद मोहन, बीच में छोड़ा इंटरव्यू, आखिर ठाकुर का कुआं से आपत्ति क्यों है…

बिहार की राजनीति में इन दोनों ठाकुर का कुआं नामक एक कविता को लेकर बवाल मचा हुआ है. बचपन में हमने और अपने प्रसिद्ध कहानीकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित ठाकुर का कुआं नामक एक कहानी को पढ़ा होगा. आज भी स्कूल में बच्चों को यह कहानी पढ़ाया जाता है. कुछ दिन पहले नए संसद भवन में महिला विधेयक बिल के दौरान राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने ओम प्रकाश प्रजापति द्वारा लिखित ठाकुर नामक कविता का पाठ किया. जिसके बोल थे…

चूल्हा मिट्टी का

मिट्टी तालाब की

तालाब ठाकुर का।

भूख रोटी की

रोटी बाजरे की

बाजरा खेत का

खेत ठाकुर का।

बैल ठाकुर का

हल ठाकुर का

हल की मूठ पर हथेली अपनी

फ़सल ठाकुर की।

कुआँ ठाकुर का

पानी ठाकुर का

खेत-खलिहान ठाकुर के

गली-मुहल्ले ठाकुर के

फिर अपना क्या?

गाँव?

शहर?

देश?

इस कविता पाठ के सात 8 दिन के बाद राजद विधायक चेतन आनंद ने फेसबुक पोस्ट और वीडियो के माध्यम से मनोज झा पर जमकर निशाना साधा. पार्टी लाइन से हटकर उन्होंने ठाकुर समाज अर्थात भूमिहार समाज का झंडा उठाया और मनोज झा को चेतावनी दे दी. उनके पिता आनंद मोहन ने तो इतना तक कह दिया कि अगर मैं उसे समय सदन में होता तो राख से जीव खींच लेता और सभापति की ओर उछाल देता. बिहार में राख मतलब छाउर होता है अर्थात जले हुए लकड़ी का अंतिम अंश.

आज इसी मुद्दे पर डेली बिहार आनंद मोहन के घर पर उनसे बातचीत करने पहुंचा. जैसे ही हमने पहला सवाल पूछा कि ठाकुर का कुआं नामक कहानी या कविता से क्या आपत्ति है वैसे ही आनंद मोहन भड़क गए. पहले उन्होंने पत्रकार रोशन झा पर ब्राह्मण होने का आरोप लगाया और कहा कि आप सब मिलकर मनोज झा के पीछे खड़े हो गए हैं. बाद में उन्होंने कहा कि आप पूरा वीडियो चलाइएगा ना. अर्थात वीडियो का आधा अधूरा अंश काट तो नहीं ना दीजिएगा.

जब हमने उन्हें भरोसा दिलाया कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती है बावजूद इसके आनंद मोहन जोर-जोर से चिल्लाने लगे और अंत में उन्होंने माइक को ठेल कर हटा दिया.

आनंद मोहन का कहना था कि मनोज झा ने ठाकुर नामक कविता का पाठ कर ठाकुर समाज को गाली देने का काम किया है. उन्होंने यह भी कहा कि मैं अगर आपको ब्राह्मण होने के नाते कहूं कि आप अपने अंदर के ब्राह्मण को मारिए तो आपको कैसा लगेगा.

कैमरा ऑफ होने के बाद भी पत्रकार के साथ आनंद मोहन की तू तू मैं मैं चलती रही… पत्रकार ने कहा कि आज भी गांव देहात में दलित समाज के लोगों को मंदिर में घुसने नहीं दिया जाता है और भोज भात के दौरान अलग से बिठाया जाता है. इस बात का जवाब देते हुए मनोज झा पर आनंद मोहन ने निशाना साधते हुए कहा कि अगर किसी ब्राह्मण गांव में जाकर मनोज झा ब्राह्मण के खिलाफ बोलोगे तो उन्हें जूता से पीटा जाएगा.

आनंद मोहन इतना गुस्सा गए कि उन्होंने जवाब देने के बदले बीच में ही इंटरव्यू को बंद करवा दिया

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