बेटे को पढ़ाने के लिए पिता ने बेच दी जमीन, बेटे ने IPS बनकर गर्व से चौड़ा कर दिया पिता का सीना

New Delhi : कोई मेहनत और लगन करे तो अपने सपने जरूर पूरा कर सकता है। आज हम आपको एक ऐसे IPS की कहानी बताएंगे जिसने परेशानियां झेलीं लेकिन अपनी मंजिल को अपनी मेहनत और लगन से पा लिया। जी हां बात कर रहे हैं IPS नूरूल हसन की।

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के छोटे से गांव में पैदा हुए IPS नूरूल हसन ने कई परेशानियां झेलीं लेकिन हार नहीं मानी। मेहनत और लगन के बल पर छोटे से गांव से सिविल सेवा परीक्षा तक का सफर तय किया। एक सपने को सच कर दिखाने वाले नूरूल हसन के परिवार का सिर आज गर्व से ऊंचा है।

मूलरूप से पीलीभीत जिले के गांव हररायपुर के रहने वाले नूर ने आर्थिक हालातों से जूझकर, संसाधनों के अभाव में खुद को स्थापित किया है और 2015 में आईएएस (IAS) में उनका चयन हो गया। नूर ने बिना कोचिंग के UPSC की परीक्षा पास की। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बेटे नूर अपनी सफलता पर बात करते हुए भावुक हो जाते हैं। वह वर्तमान में भारतीय पुल‍िस सेवा (IPS) में कार्यरत हैं और महाराष्ट्र में तैनात हैं।

आईपीएस नूर की प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई। पिता जी खेती करते थे। वह बेहद गरीबी में पले बढ़े। स्कूल की छत टपकती थी तो घर से बैठने के लिए कपड़ा लेकर जाते थे। माता—पिता के अलावा दो छोटे भाई हैं। उनकी परवरिश और पढ़ाई का दबाव भी उन्‍हीं पर था। उसके बाद उन्‍होंने ब्लॉक के गुरुनानक हायर सेकेंडरी स्कूल, अमरिया से 67 प्रतिशत के साथ दसवीं की और स्‍कूल टॉपर बने। उसके बाद उनके पापा की चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति हो गई तो वह बरेली आ गए। यहां उन्‍होंने मनोहरलाल भूषण कॉलेज से 75 प्रतिशत के साथ 12वीं की।

12वीं के बाद नूर का सलेक्शन एएमयू अलीगढ़ में बीटेक में हो गया, लेकिन फीस भरने के पैसे नहीं थे। इस पर उनके पापा ने गांव में एक एकड़ जमीन बेच दी और फीस भरी। उन्‍होंने खूब पढ़ाई की। इसके बाद गुरुग्राम की एक कंपनी में उनका प्लेसमेंट हो गया। यहां की सैलेरी से घर की जरूरतें पूरा करना मुश्किल था तो भाभा एटोमिक रिसर्च इंस्टीटयूट की परीक्षा दी और नूर का चयन तारापुर मुंबई में वैज्ञानिक के पद पर हो गया। जिस समय उनका स‍िव‍िल सेवा में चयन हुआ था, वह एटॉमिक सेंटर नरौरा में पोस्टिंग थे।

सिव‍िल सेवा की मुख्य परीक्षा में नूर ने पब्लिक एडमिनिस्टेशन को चुना। वहीं उन्‍होंने इंटरव्‍यू का अनुभव भी साझा किया। उन्‍होंने बताया, इंटरव्यू शानदार था। मेरे विषय से हटकर मुझसे सवाल पूछे गए। क्योंकि मैं न्यूक्लियर में वैज्ञानिक था तो न्यूक्लियर से संबंधित प्रश्न पूछे। इंजीनियरिंग, संविधान और क्रिकेट से संबंधित प्रश्न पूछे। इसके अलावा गुरनानक, सिखों के गुरुओ के नाम पूछे।

तैयारी कर रहे युवाओं को भी नूर ने संदेश दिया। वह कहते हैं, गरीबी को कोसें ना। जो भी संसाधन हैं उन्हीं के बीच तैयारी करें। बस अपनी मेहनत और लगन के साथ समझौता न करें। दूसरा मैं मुस्लिम युवाओं से कहूंगा कि भारत देश बहुत प्यारा है। देश की प्रगति के लिए शिक्षित बनें। मेहनत के बल पर आगे बढ़ें।

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