रेल में सफर करने वालों के साथ धोखा, बिना धोए लोगों को दिया जा रहा ओढ़ने को कंबल और चादर

रेलवे पूरी तरह से दुर्गति को प्राप्त होने को है. तमाम तरह से किराए में असाधारण वृद्धि कर लेने के बावजूद, नवभारत टाइम्स ने एक इन्वेस्टीगेटिव स्टोरी के ज़रिये बताया कि जो चद्दरें आपको ट्रेन के आरक्षित डिब्बों में बिछाने ओढ़ने के लिए दी जाती हैं वे बिना धोए दुबारा प्रेस करके नयी यात्रा में सौंपी जा रही हैं । और अब यह पढ़िए…..

अरसे से रेल के एक.सी कोच में चादरें, कंबल और कवर सहित तकिया मिलने की गारंटी होती थी। आमतौर पर साफ़ होते थे और एक पैकेट में सबकुछ पैक होकर बर्थ पर रखा होता था।

पर अच्छे दिनों का नज़ारा कुछ और है। लखनऊ मेल के ए-1 कोच में हूँ। ग़ाज़ियाबाद स्टेशन पर ट्रेन पकड़ी तो कोच के अंदर अजब हाल था। पिछले रोज़ के बिस्तर अस्त-व्यस्त बर्थ पर पड़े हुए थे। लोग उन्हें ख़ुद हटाकर टॉयलेट के पास फेंक रहे थे और ख़ुद ही बिस्तर का पैकेट ढूँढकर ला रहे थे। कोच में अटेंडेंट नाम की कोई चिड़िया नहीं थी। दिल्ली से बैठे यात्रियों ने बताया कि टीटी ने बताया है कि ‘प्राइवेट वाले लड़के’ थे ड्यूटी पर, जो भाग गये। हमें बहुत ढूंढने पर किसी दूसरे कोच में एक लड़का मिला जो वही ‘प्राइवेट वाला’ था। उसने बताया कि 11 डिब्बों के बीच बस चार लड़के हैं। काम हो भी कैसे। बहरहाल उसी ने ज़मीन पर पड़ी पुरानी चादरों के ढेर से चादरों का एक पैकेट निकालकर दिया, यह कहते हुए कि ये उसका काम नहीं है।

मज़ा तो तब आया जब 139 पर शिकायत करने के बाद दो लड़के कहीं से आये। उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम से फ़ोन आया तो आना पड़ा पर वे कर क्या सकते हैं? वे दूसरे कोच के हैं और अगर वहाँ इस बीच चोरी वगैरह हो गयी मुसीबत हो जाएगी। ये भी कि सारी ग़लती सुपरवाइज़र की है। पर वो है कहाँ, ये उन्हें भी पता नहीं।

तो ये भारतीय रेलवे है, आपकी संपत्ति..जिसे बर्बाद करने में वे लोग पूरी ताक़त से जुटे हैं जिन्होंने पूरे देश की बर्बाद कर दिया है!

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