अद्भुत है बिहार का यह सरकारी स्कूल, PVT स्कूलों को दे रहा टक्कर, व्यवस्था देख हैरान हो रहे लोग
PATNA : कुछ दिन पहले सोशल मीडिया में एक फोटो जबरदस्त वायरल हुआ था। उस फोटो में एक शिक्षक के ट्रांसफर होने के बाद सारे बच्चे उन्हें घेरे हुए था और किसी भी कीमत पर जाने नहीं दे रहे थे। तभी मन में ख्याल आया कि ऐसा स्कूल बिहार में क्यों नहीं है। आज वह तलाश पुरी हो गई। आइए आपको बिहार के उस सरकारी स्कूल में लेकर चलते हैं जहां जाने के बाद आपको संदेह होगा कि यह सरकारी स्कूल है या प्राइवेट स्कूल।
बिहार के दरभंगा जिला मुख्यालय से लगभग तीस से पैतिस किमी पर स्थित है बेनीपुर नगर परिषद। इसी अनुमंडल में आता है बहेड़ा थाना क्षेत्र का चौगमा गांव। जहां के शिक्षकों ने अपनी मेहनत और विजन से स्कूल को बदल कर रख दिया है। लाइव बिहार से बात करते हुए स्कूल के शिक्षक अनिल कुमार कहते हैं कि हमारा काम काफी महत्वपूर्ण है। हम देश के नौनिहाल को यहां तैयार करते हैं। इसलिए क्वालिटी से समझौता नहीं किया जा सकता है। उनके अनुसार इस स्कूल में कुल चार सौ बच्चे हैं और दस शिक्षक हैं। सभी क्लास टीचरों के उपर उनके वर्ग की जिम्मेदारी रहती है। प्राइवेट स्कूलों की तरह एक दिन पहले हीतय कर लिया जाता है कि कल क्या पढाना है।
अनिल कुमार कहते हैं कि जब मैं 2014 में यहां पर शिक्षक बनकर आया तो प्रभारी शिक्षक रमेश चौधरी के सर के नेतृत्व में काफी अच्छा काम हो रहा था। मैं नेट पास करके शिक्षक बना इसलिए लोगों ने मुझे उचित सम्मान दिया। इसी बीच हम लोगों ने तय किया कि क्यों ने नियम बनाकर काम किया जाए और बच्चों को पढ़ाया जाए। वे दावा के साथ कहते हैं कि आप कभी भी बिना बताए हमारे स्कूल में आइए आपका एक जैसा माहौल मिलेगा।
एक भी बच्चा इधर उधर भटकता नहीं मिलेगा। सभी टीचर क्लास में पढ़ाते हुए नजर आएंगे। वहीं उन्होंने कहा कि हमारे स्कूल के नियम के अनुसार कोई भी बच्चा बिना पास के बाहर पानी पीने या पेशाब करने नहीं जा सकता। हरेक क्लास में दो पास दिए हुए हैं, जो कि शिक्षक या क्लास कैप्टन द्वारा जारी होता है। बिना पास के बाहर जाना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। इसी तरह का नियम शिक्षकों के लिए भी रखा गया है। कोई टीचर पास रहते हो या दूर उन्हें एसम्बली से पहले स्कूल आना होता है।
जब हमने उनसे एमडीएम पर प्रश्न किया तो उनका जवाब हैरान करने वाला था। उन्होंने कहा कि एमडीएम की गुणवत्ता को जांचने के लिए ही सारे टीचर बच्चों के साथ बैठकर वहीं खाना खाते हैं जो बच्चों के लिए बनता है। इस स्कूल में बिना पूर्व सूचना के छुट्टी देने का प्रावधान नहीं है। प्रभारी शिक्षक ने बताया कि एक से तीन दिन की छुट्टी आवेदन लिखने के बाद ही दी जाती है। अगर तीन दिन से अधिक छुट्टी लेना हो तो परिजन को स्कूल आना पड़ता है और लिखित में छुट्टी लेने का कारण बताना पड़ता है।
इस स्कूल में सारे बच्चे प्रतिदिन सफेद कमीज और ब्लू पैंट पहनकर आते हैं। वहीं लड़किया ब्लू स्कर्ट ओर सफेद कमीज पहनती है। इतना हीं नहीं यहा शिक्षकों के लिए भी ड्रेस कोड का पालन करना अनिवार्य है। काला पैंट, सफेद कमीज आ लाल टाई के साथ साथ काला जूता का प्रवधान किया गया है। इतना ही नहीं सारे शिक्षको को बुधवार और शनिवार को सिर्फ उजला रंग का शर्ट, पैंट और जूता पहनने कि लिए कहा गया है। महिला शिक्षकों के लिए नीली रंग की साड़ी है।
रमेश चौधरी, हेम्पी कुमारी, शिव कुमार पासवान, शंभू सहनी, चक्रवर्ती कुमार झा, अब्दुल हक, निशा कुमारी, बिंदे ठाकुर, अनिल कुमार, ज्योति कुमारी यहां की शिक्षक और शिक्षिका हैं। वहीं रसोइया में अनिता देवी, प्रमिला देवी, मीना देवी, हीरा देवी, टीला देवी शामिल है।
(फेसबुक पर DAILY BIHAR LIVE लिख कर आप हमारे फेसबुक पेज को सर्च कर लाइक कर सकते हैं। TWITER पर फाॅलों करें। वीडियो के लिए YOUTUBE चैनल को SUBSCRIBE करें)