बिहार में आज मनाया जा रहा है जानवरों की दिवाली, गाय-भैंस को पहनाई जाएगी नयी रस्सी

मित्रों आज सुकराती है। जिसे संस्कृत में गोवर्धन पूजा है। यह पशु धन का दिन है। हालाँकि दीपावली और भाई दूज के बीच में फंसे इस त्यौहार को लेकर समाज और सरकार दोनों में उत्साह की कमी रहती है। खैर अब तक जो हुआ सो हुआ। अब तो केंद्र में गोपूजकों और राज्य में गोपालकों की सरकार है। तो क्यों न दोनों मिल कर इस दिन सार्वजानिक अवकाश की घोषणा कर देते हैं। मैं बेसब्री से इस घोषणा का इन्तेजार कर रहा हूँ।

बिहार का मिथिला क्षेत्र अपनी लोक संस्कित के कारण अदौ काल से प्रचलित रही है। तभी तो यहां एक से एक विद्वानों ने जन्म लिया है। यहां की लोक परम्परा की बात करें तो यह सदियोंसे प्रकृति बचाओं का संदेश दे रही है। इससे से संबंधित कई ऐसे लोक पर्व यहां मनाए जाते हैं जो अपने आप में अद्भुत है। जानकारों की माने तों आज पखेब है। इसे सुकराती या हुरियाहा भी कहा जाता है।

आज के दिन जनवरों को नहलाने के बाद उनकी रस्सियां बदली जाएगी। पीठ और सींग पर रंग लगाया जाएगा। गांव के बाहर भैंस और सूअर के बीच युद्ध का आयोजन किया जाएगा। हर पालो को भी पूजा जाएगा। हालांकि दिन प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस परम्परा के प्रति लोग उदासीन नजर आ रहे हैं। इसका एक कारण यह भी है कि ट्रैक्टर आने के बाद लोगों ने जानवर पालने बंद कर दिए हैं।

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