लालू ने धोखा ना दिया होता तो देश के PM होते मुलायम, 1996-1999 में यादव नेताओं ने किया विरोध

लोग आते हैं और चले जाते हैं, केवल अपनी यादें छोड़ जाते हैं, आज हम याद कर रहे हैं मुलायम सिंह यादव को। देश की राजनीति का एक ऐसा नेता जिसके बारे में जितनी बातें की जाए तो कम है। चर्चा आरम्भ करेंगे तो समय कम पड़ जाएगा। कहां से शुरू करें और कहां से खत्म। एक गांव का लड़का जो राजनीति में कदम रखता है और सिरमौर बन जाता है। विधायक— सांसद का सफर तय कर यूपी का सीएम और देश का रक्षा मंत्री बनता है। एक ऐसा मौका दिया जाता है जब वह देश का प्रधानमंत्री बन सकता था। लेकिन उसके अपने समधी ने ही उसे धोखा दे दिया और विरोध कर दिया। अगर लालू ने विरोध ना किया होता तो मुलायम देश के प्रधानमंत्री होते।

बात 1996 की है उस समय लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बन चुके थे। लेकिन उनके पास बहुमत नहीं थी। भाजपा सरकार बहुमत से काफी दूर थी। अटल जी के नेतृत्व में बीजेपी को मात्र 161 सीटें प्राप्त हुई। 13 दिन के बाद अटल जी को इस्तीफा देना पड़ा था अब।अब सवाल उठने लगा कि अगली सरकार किसकी बनेगी। कांग्रेस के पास 141 सीटे थी, लेकिन कांग्रेस ने गठबंधन सरकार बनाने से साफ इंकार कर दिया था। इसके बाद तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर कवायद तेज हो गई।

ज्योति बसु का नाम सबसे आगे था। बीपी सिंह का भी नाम जोर शोर से लिया जा रहा था। हंलाकि बीपी सिंह ने पीएम बनने से इंकार कर दिया था। अब सबकी नजर मुलायम सिंह यादव पर थी। जब उनका नाम सामने आया तो तय माना जा रहा था कि देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव की ताजपोशी हो सकती है।

तभी एक वाक्य हुआ शरद यादव और लालू यादव ने उनका विरोध कर दिया। मुलायम सिंह यादव का सपना चकनाचूर हो गया। और एचडी देवे गौड़ा देश के नए प्रधानमंत्री बने।

1999 मे भी मुलायम सिंह यादव का सपना एक बार और पूरा होते—होते रह गया। इस बार फिर से चर्चा होने लगी कि पीएम के रूप में मुलायम सिंह यादव अगले उम्मीदवार होंगे लेकिन यादव नेताओं ने इस बार भी उनको धोखा दिया। अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने और पांच साल के अपने कार्यकाल को पूरा किया।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *