19 साल से झारखंड के मुख्यमंत्री नहीं बचा पाए अपनी सीट, जमशेदपुर से रघुवर दास पीछे

रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम आज आएंगे. अभी मतगणना जारी है. शुरुआती रुझान आने शुरू हो गए हैं.  संभवतः आज दोपहर बाद ये साफ हो जाएगा कि झारखंड की जनता ने इस बार किसको अपना सरकार चुना है. कौन झारखंड का अगला मुख्यमंत्री होगा?. झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ एक ट्रेंड चला आ रहा है कि झारखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले सभी नेता बारी-बारी से हार चुके हैं.

अब सवाल ये है कि क्या इस बार रघुवर दास इस ट्रेंड को बदलेंगे? क्या वो 19 साल से चले आ रहे इस इतिहास को बदलेंगे? ‘अबकी बार 65 पार’ के नारे के साथ रघुवार दास ने जी-जान लगाकर चुनाव प्रचार किया, लेकिन क्या वो झारखंड के उस मिथक को तोड़ पाने में कामियाब होंगे, जिसे आजतक कोई नहीं तोड़ पाया है?

बता दें कि झारखंड के गठन को 19 साल बीत चुके हैं और अब तक तीन विधानसभा चुनाव(2005,2009,2009) गुजर चुके हैं. तीन  बार विधानसभा चुनावों के बाद झारखंड में अब तक छह  मुख्यमंत्री हो चुके हैं. झारखंड में बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधू कोड़ा, हेमंत सोरेन और रघुवर दास ने अब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है. अगर गौर करें तो पता चलेगा कि झारखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले सभी नेता बारी-बारी से हार चुके हैं.=

झारखंड का इतिहास रहा है कि यहां कि जनता ने जिसे एक बार सत्ता की चाबी दी और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया उसे अगली बार नीचे उतार फेंका है. ये झारखंड के लोगों को मिजाज है कि अब तक जो नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा है उसे जनता ने चुनाव में नकारा है. मतलब ये कि झारखंड में जो एक बार मुख्यमंत्री बना उसे जनता ने हार का सामना करवाया है. इसी तरह का ट्रेंड विधायकों का भी रहा है.  =

2014 के चुनाव में हारे चार पूर्व मुख्यमंत्री

साल 2014 विधानसभा चुनाव के नतीजें हैरान करने वाले थे. ये नतीजे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सुनामी साबित हुआ और इस चुनाव में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन 2014 में खरसावां सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को भी 2014 में हार का सामना करना पड़ा. इनके साथ-साथ साल 2014 के चुनाव में जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष को झारखंड का मुख्यमंत्री रहते हुए हार का मुंह देखना पड़ा. 

झारखंड का चुनावी इतिहास मुख्यमंत्रियों के लिए खास नहीं 

झारखंड का चुनावी इतिहास मुख्यमंत्रियों के लिए खास नहीं रहा है. अब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे नेता को हार का सामना करना ही पड़ा है. हालांकि रघुवर दास ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है. अब उनके सामने चुनौती है कि क्या वो 19 साल से चले आ रहे इस मिथक को तोड़ पाएंगे?

जमशेदपुर पूर्वी सीट से उनके अपने ही मंत्रिमंडल के बागी नेता सरयू राय खड़े हैं, वहीं कांग्रेस ने इस सीट से गोपाल बल्लभ को मैदान में उतारा है. जमशेदपुर पूर्वी को भाजपा का गढ़ माना जाता है, ऐसे में देखना होगा कि रघुवर दास जीत हासिल कर इस मिथक को तोड़ पाते हैं कि नहीं. भाजपा ने उनपर एक बार फिर से भरोसा जताया है, ऐसे में उनपर जीत हासिल कर भाजपा को सत्ता में वापस लाने का दवाब है. 

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