जन्माष्टमी पूजा में काले रंग का भूलकर भी नहीं करें इस्तेमाल, शुभ मुहूर्त जानें

पटना : भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन यानी जन्माष्टमी शनिवार को है। जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की निशिथ पूजा रात 12:01 से रात 12:45 बजे के बीच करें। पारण का समय 24 अगस्त को सूर्योदय के बाद 5:59 में कर लें। इस साल अष्टमी तिथि 23 अगस्त को सुबह 8:08 से शुरू हो रही है और 24 अगस्त को ही 8:31 पर समाप्त होगी। जन्माष्टमी पर श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाने के लिए उनके पसंदीदा चीजें तैयार करते हैं। जैसा कि भगवान कृष्ण को माखन पसंद है तो उनके भक्त माखन का उन्हें भोग लगाते हैं। इसके अलावा जन्माष्टमी की झांकियां भी बनाते हैं। बता दें कि जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की सेवा और पूजा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और पापों का नाश हो जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का बाल रूप हर एक के हृदय में प्रेम और वात्सल्य का भाव जाग्रत करता है। श्रीकृष्ण का अवतार कुछ विशेष लीलाओं के लिए ही हुआ था।

व्रतराज के नाम से प्रसिद्ध है जन्माष्टमी : भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस को पूरा देश बड़े धूमधाम से मनाता है। भगवान के भक्तों का इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। इंडिया के अलावा कई अन्य देशों में भी श्रद्धालु जन्माष्टमी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। यही कारण है कि जन्माष्टमी को व्रतराज कहा जाता है। इस व्रत को करने से अकाल मृत्यु, गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य और कलह नहीं होती। जो एक बार भी इस व्रत को करता है वह संसार के सभी सुखों को भोगकर विष्णुलोक में निवास करता है। लेकिन श्रद्धालु को व्रत रखने का सोच रहे हैं तो उन्हें एक दिन पहले से केवल एक समय का भोजन करना चाहिए।

जानें कैसे करें भगवान की पूजा : जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने के लिए श्रद्धालु स्नान कर साफ-सुथरा कपड़ा पहने और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद माता देवकी और भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। बता दें कि भगवान के शृंगार में वैजयंती के फूलों का प्रयोग करने से श्रीकृष्ण जी प्रसन्न होते हैं। पीले रंग के वस्त्र और चंदन की माला से भगवान का शृंगार करें। पूजा में काले रंग का किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा आदि देवताओं के नाम जपें। रात में 12 बजे के बाद श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पंचामृत से अभिषेक कराकर भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें और लड्डूगोपाल को झूला झुलाएं।

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