गया: चमकी बुखार और जेई से 10 दिनों में 8 बच्चों की मौ’त, चार की हालत गंभीर

मुजफ्फरपुर में बारिश के बाद चमकी बुखार (एईएस) से पीड़ित बच्चों के अस्पताल पहुंचने का सिलसिला कम हुआ है, तो उधर गया में अज्ञात बीमारी से पीड़ित बच्चों की मौ’त का सिलसिला जारी है। वहीं, जापानी इंसेफेलाइटिस होने की आशंका भी जताई जा रही है। गया में पहले भी जापानी इंसेफेलाइटिस कहर बड़पा चुका है। गुरुवार को भी अज्ञात बीमारी से एक बच्चे की मौ’त हो गई।

अस्पतालों में अब तक 33 बच्चे दस्तक दे चुके हैं, जिनमें 18 अभी भी भर्ती हैं। बीते 10 दिनों में 8 बच्चों की मौ’त भी हो चुकी है। गया में हर साल बारिश की शुरुआत होते ही जेई और एईएस के संदिग्ध मरीजों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

एक स्वास्थ्य अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कलेज एवं अस्पताल (एएनएमसीएच) में दो जुलाई से अब तक 33 बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है, जिनमें से आठ बच्चों की मौ’त हो चुकी है।

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एएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ़ वी़ के। प्रसाद ने बताया कि एईएस का मामला हो सकता है, लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है और रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। रिपोर्ट आने के बाद इसका पता चलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि एईएस एक सिंड्रोम है, जिसमें बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। प्रसाद ने कहा कि फिलहाल अस्पताल में एईएस के 18 संदिग्ध पीड़ित बच्चों का इलाज चल रहा है, जिसमें चार की हालत गंभीर बनी हुई है।

इससे पहले दावा किया जा रहा था कि बारिश के चलते एईएस का प्रकोप कम होगा। डॉक्टरों का मानना था कि इसके रोकथाम में दवाओं से ज्यादा बारिश कारगर होगी और 100 से ज्यादा उन बच्चों के लिए मददगार साबित होगी, जिनका इलाज अभी भी अस्पतालों में चल रहा है। उनकी हालत तेजी से सुधारेगी। लेकिन परिस्थितियां अभी तक नहीं सुधरी हैं। बच्चों के बीमार होने का सिलसिला अब तक जारी है।

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