जातीय जनगणना: केंद्र के SC में जवाब के बाद भड़के लालू, बोले- ‘BJP-RSS को पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों?’

बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census) का मुद्दा गरमाता जा रहा है. बिहार के करीब-करीब सभी राजनीतिक दल जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं. इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अगुवाई में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी.  हालांकि, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन है. इस बीच, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू यादव ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जातीय गणना नहीं कर सकती तो ऐसी सरकार पर धिक्कार है. 

लालू यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए एक के बाद एक दो ट्वीट किए. उन्होंने लिखा, “जनगणना में सांप-बिच्छू, तोता-मैना, हाथी-घोड़ा, कुत्ता-बिल्ली, सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी, पेड़-पौधे गिने जाएंगे, लेकिन पिछड़े-अति पिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी. वाह! BJP/RSS को पिछड़ों से इतनी नफ़रत क्यों? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा. सबकी असलियत सामने आएगी. 

आरजेडी सुप्रीमो ने आगे कहा, “BJP-RSS पिछड़ा/अतिपिछड़ा वर्ग के साथ बहुत बड़ा छल कर रहा है. अगर केंद्र सरकार जनगणना फ़ॉर्म में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर देश की कुल आबादी के 60 फ़ीसदी से अधिक लोगों की जातीय गणना नहीं कर सकती तो ऐसी सरकार और इन वर्गों के चुने गए सांसदों व मंत्रियों पर धिक्कार है. इनका बहिष्कार हो.”

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, केंद्र ने कल सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर” है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना ‘‘सतर्क नीति निर्णय” है.  केंद्र का रूख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल में बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी. 

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