लो करलो बात JNU का छात्र नोबल पुरस्कार जीत लाया, आप का मन करे तो देशद्रोही बोलकर खुश हो लीजिए

दो महीने पहले जब रवीश कुमार को रेमन मैग्सेसे अवार्ड दिया गया था, एक युवा एकेडमिक मित्र ने कहा था, ये देश को नीचा दिखाने की साजिश है. हालांकि अवॉर्ड समिति भारत को क्यों नीचा दिखाना चाहती है, इस बात का कोई जवाब उनके पास नहीं था. शायद IT सेल ने जवाब भेजा नहीं था. उन जैसे तमाम भक्तों ने रविश को बधाई देने के बजाय फेक वीडियो शेयर करना राष्ट्रहित में ज्यादा जरूरी समझा. माननीय प्रधानमंत्री ने भी रवीश को बधाई नहीं दी थी, शायद वो उस समय ‘हौदी मोदी’ की ड्रेस रिहर्सल में व्यस्त थे.

अब नोबेल कमेटी ने भी देश को नीचा दिखाने की कोशिश की है. कोशिश क्या दिखा ही दिया. जिन अभिजीत बनर्जी को नोबेल पुरस्कार दिया है, अव्वल वो अर्थशास्त्री हैं, जिन्हें माननीय प्रधानमंत्री ढेला भर भाव नहीं देते. दूसरे हार्वर्ड से पीएचडी हैं, जिनका मज़ाक माननीय प्रधानमंत्री नींद में भी उड़ा देते हैं. तीसरे जेएनयू से पढ़े हैं, जहां कंडोम जैसी विदेशी चीजें इस्तेमाल होती हैं. ( क्या है!! लिंचिंग तक ठीक था, मगर कंडोम भी विदेशी. कोई देशी चीज ढूंढ़ लेते.?). और तो और अभिजीत बनर्जी का सबसे बड़ा पाप, वो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सलाहें दे चुके हैं. न्याय योजना उन्हीं के दिमाग की उपज थी. वही न्याय योजना, जिसके मीम्स IT सेल 25 पैसे प्रति ट्वीट के हिसाब से आज भी शेयर करवाता है.

गौर से देखें तो अभिजीत बनर्जी के बॉयोडाटा में वो सारी गड़बड़ियां हैं, जिनसे उन्हें आसानी से देशद्रोही ठहराया जा सकता है..मैं इंतजार कर रहा IT सेल के मैटेरियल का. वो आए और शेयर करूं या पहले माननीय प्रधानमंत्री बधाई दे लें, फिर दिया जाए. पापा से प्यार है.

काश! अनिल बोकिल को ये आवर्ड मिला होता, कम से कम बधाई तो आसानी से दे पाते.क्या प्रलयंकारी आईडिया था उनका……वही नोटबंदी. नोबेल, रेमन..सब मिले हुए हैं.?

-Avanish pathak

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