जूनियर जज पर गुस्सा गए पटना हाई कोर्ट के जस्टिस, कहा- तुम अपने पद पर बैठने लायक नहीं हो

कहते हैं कि जज बनने के लिए जो कानूनी पढ़ाई होती है वह पूरे देश में एक है. एकहि किताब को पढ़कर कोई डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जज बनता है तो कोई हाई कोर्ट में. देश में कई सारे ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जहां डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की जज ने हाई कोर्ट की यात्रा तय करने के बाद सुप्रीम कोर्ट तक अपना जलवा दिखाया है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसमें पटना हाई कोर्ट के एक जस्टिस में एक जूनियर जज को जमकर हड़काया है. सुनवाई के दौरान इतना तक कह डाला कि लगता है तुम पढ़े लिखे नहीं हो. तभी तो हमने जो आदेश दिया वह तुम्हारी समझ से बाहर है. इसका साफ मतलब है कि तुम अपने पद पर बैठने के लायक नहीं हो.

पटना से प्रकाशित हिंदुस्तान अखबार अपनी रपट में लिखता है कि हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सिटी के एक न्यायिक पदाधिकारी पर कड़ी टिप्पणी की है।

न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने आफताब हुसैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पटना सिटी के अवर न्यायाधीश छह को या तो हाईकोर्ट का आदेश समझ में नहीं आता है या आदेश समझने के बावज़ूद उसका अनुपालन नहीं करते हुए अवमानना कर रहे हैं, दोनों ही स्थितियों में वे अपनी कुर्सी पर बने रहने लायक नहीं हैं। इस टिप्पणी के साथ पटना सिटी के सब जज 6 को एक हफ्ते के अंदर इस बाबत सफाई पेश करने का आदेश दिया। पूछा है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाइयों में जो निर्देश उक्त सब जज महोदय को दिया था, उसका क्या अनुपालन हुआ? इस मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

मामला पटना के सुल्तानगंज थाना अंतर्गत संदलपुर के धनुकी मौज़ा स्थित साढ़े पांच एकड़ ज़मीन पर परीक्षा समिति के परीक्षा हॉल व केंद्र के निर्माण का है। इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उक्त ज़मीन पर टाइटल सूट के तहत पटना सिटी के सब जज छह की अदालत में मुकदमा चल रहा है। जिसपर निचली अदालत से निषेधाज्ञा तक जारी हो चुकी है। परीक्षा केंद्र का निर्माण उक्त निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उक्त टाइटल सूट में जब राज्य सरकार पक्षकार है ही नहीं तो उसपर वह निषेधाज्ञा लागू नहीं होती और न ही कोई बंदिश है। फिर भी न्याय हित में पटना डीएम ने उक्त टाइटल सूट में पक्षकार बनने की इजाजत मांगी। जिसे हाईकोर्ट ने पिछले 4 जुलाई को मंज़ूरी दी थी। साथ ही संबंधित निचली अदालत को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार की तरफ से पक्षकार बनाने हेतु दिए गए आवेदन पर रोज़ाना सुनवाई करते हुए उसका निष्पादन दो हफ्ते में कर दे। सोमवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि पटना सिटी के सब जज 6 के समक्ष आवेदन देने के बावज़ूद, न तो हाईकोर्ट आदेश के तहत रोज़ाना सुनवाई हुई, उल्टा अगली सुनवाई की तारीख 4 महीने के बाद मुकर्रर कर दी गई। इसी के बाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए सफाई पेश करने का आदेश दिया है।

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