जयंती पर ज्योतिबा फूले को शत-शत नमन, महिलाओं के लिए खोला था देश का पहला स्कूल

आज ज्योतिबा फूले की जयंती है तो फणीश्वरनाथ रेणु की पुण्यतिथि। ज्योतिबा फुले हाशिये के समाज के लिए जो सपना अपने कालखण्ड में देखते है। उस सपने को पर लगाने में रेणु ने महती भूमिका निभायी है। शिक्षित नारी का सपना ज्योतिबा ने देखा था। 1957 में प्रकाशित रेणु की रचना परती परिकथा की दलित नारी पात्र मलारी मैट्रिक की परीक्षा पास कर एल आई सी की एजेंट बनती है। 1957 में दलित लड़की का मैट्रिक पास करने की घटना सामाजिक उत्थान की ओर बढ़ता कदम था। एलआईसी भी उस वक़्त के समाज के लिए नई परिकल्पना थी। उस नई परिकल्पना का हिस्सा मलारी बनती है। यह ज्योतिबा फूले द्वारा बोये गये बीज का फलसफा था।

ज्योतिराव गोविंदराव फुले भारत के महान विचारक, समाजसेवी, लेखक और दार्शनिक थे. उनके विचार आज भी समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है. ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म आज ही के दिन साल 1827 में हुआ था. उनको महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए कार्य के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है. वैसे उनका असल नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था लेकिन ज्योतिबा फुले के नाम से मशहूर हुए. उनका परिवार सतारा से पुणे आ गया था और माली का काम करने लगा था. माली का काम करने की वजह से उनके परिवार को ‘फुले’ के नाम से जाना जाता था. उनके नाम में लगे फुले का भी इसी से संबंध है.

खोला था महिलाओं के लिए पहला स्कूल : ज्योतिबा फूले ने महिलाओं के लिए देश का पहला महिला शिक्षा स्कूल खोला था. इसके अलावा वो भारतीय समाज में होने वाले जातिगत आधारित विभाजन और भेदभाव के कट्टर दुश्मन थे. उस समय महाराष्ट्र में जाति प्रथा बड़े पैमाने पर फैली हुई थी इसके लिए उन्होंने प्रार्थना समाज की स्थापना की. उन्होंने अपनी पत्नी को सावित्री को पढ़ाया और वो दूसरों को पढ़ाने लगीं. सावित्रीबाई फुले आगे चलकर देश की पहली प्रशिक्षित महिला अध्यापिका बनीं.ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई. 1888 में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई थी.

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