स्मृति शेष : ट्रेन से आई थी कल्याण सिंह की बरात, तांगे से पहुंचाए गए थे बराती

आखिरी बार 13 साल पहले चंदौसी स्थित अपनी ससुराल आए थे, पूरे परिवार के साथ तीन दिन रुके थे, पत्नी के पैतृक गांव देवापुर भी गए थे । बाबू जी (कल्याण सिंह ) की बरात जनपद अलीगढ़ के गांव मढ़ौली से बहजोई तक ट्रेन से आई थी। उस समय यातायात के साधन सीमित थे। बहजोई स्टेशन पर ट्रेन से उतरे बरातियों को तांगे से हमारे पैतृक गांव देवापुर पहुंचाया गया था…

यह कहना है जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन एवं भाजपा नेता गजराज सिंह का, जिनकी तहेरी बहन रामवती के साथ कल्याण सिंह की शादी हुई थी। गजराज सिंह ने कहा कि वर्षों पुरानी इस शादी का साल अब मुझे ध्यान नहीं रहा लेकिन उस वक्त शादी की व्यवस्थाएं देखने वाले परिजनों और रिश्तेदारों से सुने अनुभवों से बरात का सफर ट्रेन से होने की जानकारी है। बुजुर्ग बताते थे कि बाबू जी व्यवस्थाओं को लेकर शुरुआत से सचेत रहते थे। देवापुर (कल्याण सिंह की ससुराल का मूल गांव) पहुंचने पर सबसे पहले उन्होंने बरात ठहरने के स्थान को खुद देखा। चेक किया कि व्यवस्थाओं में कमी तो नहीं है।

गजराज सिंह के मुताबिक बाद में गांव से हमारा पूरा परिवार चंदौसी शिफ्ट हो गया था तो बाबू जी की ससुराल चंदौसी शहर की कहलाई जाने लगी। खास अवसरों पर वह चंदौसी आते थे। आखिरी बार वह करीब 13 साल पहले वर्ष 2008 में वह चंदौसी आए थे। तब तीन दिन तक रुके थे और कुछ समय के लिए देवापुर गांव भी गए थे।

गजराज सिंह ने बताया कि बाबू जी को बनावट पसंद नहीं थी। अपना काम खुद करना पसंद करते थे। ससुराल में आने के बाद भी धोती, कुर्ता खुद धोते थे। पसंद का खाना पूछने पर उड़द की धुली दाल बनवाते थे। 

गजराज सिंह ने बताया कि कल्याण सिंह के वर्ष 1991 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने की सूचना मिली तो उत्साह में हम लोग चंदौसी के एक परिचित की फिएट कार से लखनऊ पहुंच गए थे। शपथ ग्रहण समारोह में ले जाने के लिए सरकारी गाड़ी उनके लखनऊ स्थित आवास पर पहुंची तो उन्होंने शपथ से पहले सरकारी गाड़ी में बैठने से इनकार कर दिया। चंदौसी से पहुंची कार में बैठकर शपथ के लिए रवाना हुए थे। 00

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण के निधन की खबर मिलते ही चंदौसी में उनकी ससुराल में शोक की लहर दौड़ गई। ससुराल से जुड़े घरों के अलावा उनके करीबी रहे लोग भी निधन की सूचना से सदमे में आ गए। रिश्तेदारों व नजदीकी लोगों ने अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए सफर की तैयारी भी रात में ही शुरू कर दी। 

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