अद्भुत है बिहार का मां कामाख्या मंदिर, भक्तों के लिए कामरूप कामाख्या से दौड़ी चली आई मां

असम के मां कामाख्या मंदिर के बारे में आपने जरूर सुना होगा, लेकिन बिहार के पूर्णिया में भी मां कामाख्या का मंदिर है। यहां कु’ष्ठ रो-गी का इलाज दैवीय कृपा से होता है। मान्यता है कि असम के कामरू कामाख्या मंदिर से मां यहां आई थीं, जिसके बाद यहां मुगल काल में ही उनके मंदिर का निर्माण किया गया था। मां कामाख्या के यहां आने और मंदिर स्थापना की बड़ी दिलचस्प कहानी है।

पूर्णिया कृत्यानंद नगर के इस गांव को कामाख्या स्थान के नाम से जाना जाता है। यहां मां कामाख्या का मंदिर है जिसका निर्माण काल मुगलकालीन बताया जाता है। माता यहां “क्षेम-करनी” के रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि इस गांव की दो लड़िकयों श्यामा और सुंदरी की मुगलों से र’क्षा के लिए माता का यहां अवतरण हुआ था। इन दोनों का मंदिर भी माता के मंदिर प्रांगण में ही है। यहां श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं। यहां कु’ष्ठ रो’गी विशेष रूप से आते हैं जिनका इलाज माता की कृपा मात्र से ही हो जाता है।

किवदंतियों के अनुसार कर्ज के बोझ से तले और दो बेटियों के कारण एक गरीब ब्राह्मण भी माता की अराधना की। देवी माता प्रसन्न होकर उन्हे कुछ अवशेष देकर घर से एक किमी. दूरी पर स्थापित कर पूजन करने को कहा। जिसके बाद यहां कामाख्या मंदिर की स्थापना की गई। केनगर प्रखंड के मजरा गांववासी भागीरथ झा नामक गरीब ब्राह्मण भी लगभग चार सौ वर्ष पूर्व असम के कामगिरी पर्वत (वर्तमान में नीलांचल पर्वत) पर स्थित कामरू-कामाख्या पहुंचकर देवी माता की अराधना की थी। मंदिर की स्थापना का काल चार सौ साल पुराना माना जा रहा है। यहां सप्ताह के हर मंगलवार को विशेष पूजन होती है। हर मंगलवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजनोत्सव किया जा रहा है। केवल मलमास पड़ने वाले वर्ष को छोड़कर हर वर्ष यहां ठाढ़ी व्रत का मेला लगता है।

शक्तिरूपा भगवती माता के दरबार में श्रद्धालुओं के अत्यधिक आवाजाही के कारण क्षेत्रवासियों की मांग पर पूर्व मंत्री सह धमदाहा विधायक लेशी ¨सह इसे पर्यटन केंद्र बनाने के लिए प्रयास रत हैं। फिलवक्त परिसर में पर्यटन केंद्र के लिए कार्य प्रगति पर है। शहर के उद्योगपति डीएन चौधरी द्वारा पर्यटन केंद्र घोषणा से पूर्व मंदिर का पूर्ण रूप से चहारदीवारी, गेट का निर्माण किया जा चुका है। इसके अलावा कटिहार के भगवान दास, शहर के चिकित्सक डा. एके पाठक, भट्ठा बाजार निवासी स्व. बसंत मित्रा का सहयोग भी मंदिर के विकास में सराहनीय रहा है।

One thought on “अद्भुत है बिहार का मां कामाख्या मंदिर, भक्तों के लिए कामरूप कामाख्या से दौड़ी चली आई मां

  • अगस्त 11, 2019 at 10:04 पूर्वाह्न
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    are bhai kyou logo ko pagal bana rahe ho koi aur kaam nahi hai ye gopalganj ka thave mandir hai samjhe bhai

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