19 साल की उम्र में शहीद हुआ बिहार का कमलेश, जन्मदिन पर ही देश के लिए दी जा’न

New Delhi : श्रीनगर के कुपवाड़ा जिले में शुक्रवार को डयूटी के दौरान शही’द लखनपुरा निवासी 19 वर्षीय कमलेश कुमार सिंह उर्फ भोला कुमार पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके अंतिम दर्शन के लिए पटनावासी उमड़े।

सड़कों के दोनों किनारे खड़े होकर भारत माता की जय, शही’द कमलेश अमर रहें के नारों से राजधानी गूंज गई। इस दौरान लोगों में आक्रोश भी देखने को मिला। नाराजगी जताते हुए पाकिस्तान मुर्दाबाद की हुंकार भी सुनने को मिली। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी शही’द के अंतिम दर्शन करने पहुंचे। रविशंकर ने कहा शही’द कमलेश ने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। देश एेसे बहादुर सपूतों की वजह से ही देश के लोग अपने को सुरक्षित मानते हैं। मंत्री ने कहा कि शही’द के पिता और परिवार की हिम्मत देखते बनती है। हमें कमलेश पर गर्व है।

इसके पहले जहां-जहां से शही’द का शव गुजरा वहां लोग इकत्रित होते गए। शव के साथ हजारों लोग घाट तक चलते रहे। प्रखंड के नयाटोला से केलवारिया तक सड़क की दोनों ओर लोग खड़े रहे और पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस बीच 19 साल के शही’द जवान को याद कर कई लोगों की आंखें भर आईं। तिरंगा झंडा हाथ में लिए युवाओं के साथ वृद्धों का भी जुटान अंतिम यात्रा में देखने को मिला।

इसके पहले शनिवार की देर रात पटना एयरपोर्ट पर शही’द सैनिक कमलेश सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा था। एयरपोर्ट पर शही’द जवान के मामा, चचेरे भाई और गांव के दर्जनों लोग शाम से ही इंतजार में बैठे थे। पार्थिव शरीर को एयरपोर्ट पर सेना के जवानों ने सलामी दी थी। इसके बाद दानापुर सैनिक छावनी ले जाया गया। पार्थिव शरीर पहुंचते ही एयरपोर्ट पर मौजूद लोग शही’द के सम्मान में भारत माता की जय आदि के नारे लगाए गए थे।

परिजनों ने बताया कि 14 सितंबर को कमलेश का जन्म दिन था, जन्मदिन धूमधाम से हर साल मनाया जाता था। लेकिन इस बार खुशी की बजाए गम के आंसू बह रहे हैं। प्रखंड के लखनपुरा गांव में शही’द के घर पर शनिवार को पूरे दिन सांत्वना देने के लिए आने वाले लोगों का तांता लगा रहा। शही’द कमलेश सिंह के पिता अनिल कुमार सिंह बार-बार रोते हुए बेहोश हो जा रहे थे। चाचा मंटू सिंह, परमानंद सिंह, नवीन सिंह, गोपाल सिंह अपने भाई अनिल कुमार सिंह को संभाल रहे थे। कमलेश की दादी रामपरी देवी रोते हुए कह रही थी, भगवान पोते के बदले मुझे क्यों नहीं उठा लिया। मेरे आंखों के सामने बहू कंचन देवी, शही’द की मां एवं अब पोते कमलेश उर्फ भोला चला गया। शही’द कमलेश की मां की मौत करीब आठ वर्ष पूर्व हो गई थी।

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