कन्‍हैया को बताया- कौवा कुमार, कहीं चले अंडे तो कहीं जूते, महंगा पड़ रहा CAA-NRC का विरोध

कन्‍हैया को महंगा पड़ रहा CAA-NRC का विरोध, कहीं चले अंडे तो कहीं जूते, बताया- कौवा कुमार

जवाहर लाल नेहरू छात्र संघ (JNUSU) के पूर्व अध्‍यक्ष (Ex President) तथा भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (CPI) के नेता कन्‍हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) इन दिनों नागरिेकता संशोधन कानून (CAA), राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर (NRC) व राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या रजिस्‍टर (NPR) के खिलाफ राज्‍यव्‍यापी यात्रा पर हैं। इस क्रम में सोमवार को उनके नवादा (Nawada) आगमन के विरोध में उन्‍हें ‘कौवा कुमार’ (Kauwa Kumar) बताते हुए पर्चे (Poster) साटे गए। हालांकि, इसके बावजूद कन्‍हैया न केवल नवादा पहुंचे, बल्कि जनसभा भी की।

इसके पहले जमुई से नवादा आते वक्‍त सोमवार को ही उनके काफिल पर ह-मला कर माेबील व अंडे फेंके गए। जगह-जगह हो रहे हमलों के दौरान हाल ही में कटिहार में कन्‍हैया पर जूते-चप्‍पल भी फेंके जा चुके हैं।

नवादा में जनसभा के पहले साटे पर्चे : नवादा के आइटीआइ मैदान में सोमवार को कन्‍हैया कुमार की जनसभा हुई। वहां पहुंचने पर कार्यकर्ताओं ने उनका स्‍वागत किया। हालांकि, इसके पहले परोक्ष रूप से कन्हैया की आेर इशारा करते हुए नवादा समाहरणालय के आसपास प्रजातंत्र चौक और जेपी चौक पर कई पर्चे साटे मिले। पर्चे में कन्‍हैया कुमार को ‘कौवा कुमार’ कहकर संबोधित किया गया तथा उनको वापस जाने को कहा गया। ये पर्चे किसने लगाए, इसका पता नहीं चल सका है। हालांकि, स्‍थानीय लोगों में ये कौतूहल का विषय बन गए हैं।

जमुई में फेंके अंडे, पहली बार बदला नाम : विदित हो कि सीएए, एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ यात्रा पर निकले कन्हैया कुमार का बिहार में जगह-जगह विरोध हो रहा है। सोमवार को भी जमुई में कन्‍हैया के काफिले पर ह-मला हुआ। इस दौरान कन्‍हैया पर मोबील व अंडे फेंके गए। नवादा में साटे गए पोस्‍टर में पहली बार उनका नाम बदलकर कौवा कुमार कर दिया गया है।

जगह-जगह हमले, जूते भी फेंके : हाल ही में कटिहार में जनसभा कर वापस लौटते वक्‍त कन्‍हैया पर जूते-चप्पल फेंके गए थे। कटिहार के शहीद चौक के पास हुई इस घटना में कन्हैया बाल-बाल बचे। इससे पहले बिहार के ही मधेपुरा व सुपौल में कन्हैया के काफिले पर पथराव हुआ था। बुधवार को सुपौल में हुए पथराव के दौरान कन्‍हैया के काफिले के कुछ वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसके पहले गोपालगंज व सारण आदि कई और जगह भी कन्‍हैया को विरोध का सामना करना पड़ा था।

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