नॉमिनेशन इन बेगूसराय, कल कन्हैया रचेगा नया इतिहास

PATNA…तनवीर भाय आज नॉमिनेशन दाखिल किए। अच्छी बात है। कन्हैया कल नॉमिनेशन का पर्चा भरेगा। यह और भी अच्छी बात है। बभिनिया कहने पर ठहाका मारने वाले चिलमबाज मुजरिम गिरिराज सिंह उर्फ ‘नवादा वाले’ सबसे पहले नामांकन कराए। कहने को इसे भी अच्छी बात कह लीजिये। लोकतंत्र है। जिसका भी जी करे, सिर मुड़ाकर भिड़ जाता है।

किसी को विजय का ताज पहनना है। किसी को हारकर मुँह छुपाना है। कोई वोट लेने के लिए आते हैं। कोई वोट काटने के लिए आते हैं। क्या करें? लोकतंत्र है। कुछ नहीं तो हारने के बाद मूल्यांकन और समीक्षा ही जान बचा देते हैं। प्राप्त और अप्राप्त वोट प्रतिशत की गणना लाज धोने के काम आ जाती है। अतीत और वर्तमान की तुलना से हार का दर्द हल्का होता है।

मगर चुनाव के दौरान? हे भगवान! कोई रोता है। कोई अकड़ता है। कोई गिड़गिड़ाता है। कोई बभिनिया कहे जाने पर मंदिर में दाँत निपोड़कर खिखियाता है। और इतना ही नहीं… यहाँ हर किस्म के उम्मीदवार हैं। किसी को जाति और धर्म का दम्भ है। किसी को भगवा झंडे और झंड-बुद्धि लौंडों पर गुरूर है।

लेकिन इन सबके बीच कोई है जिसे जनता बबर शेर मानती है। लोगों के बीच वह अपनी शान में विचरण करता है। कहीं भी खड़े होकर जब बोलना शुरू करता है तो लोगों की भीड़ से धरती धमकने लगती है। समर्थक तो समर्थक, उसके विरोधी भी कान लगाकर उसे सुनने लगते हैं। इतने पर भी वहाँ कोई दम्भ नहीं। कोई गुमान नहीं। सहज, स्वाभाविक और आलीशान… लोग उसे जन्मजात नेता मानते हैं।

इन दिनों ये सभी अपना-अपना नॉमिनेशन दर्ज करा रहे हैं। नॉमिनेशन के दिन नेता के साथ की भीड़ का बड़ा मोल होता है। समर्थक, अनुयायी, भक्त, पागल, निठल्ले, राहगीर, पाकिटमार, तमाशबीन, कुतूहली, चाय-समोसे के शौकीन, गुटखा-सिगरेट के प्रेमी, आलोचक, विरोधी… नॉमिनेशन के दिन करीब-करीब सभी पहुँचते हैं और एक भीड़ पैदा हो जाती है। तब जरूरी है कि थोड़ा विचार उस भीड़ पर कर लिया जाय।

गिरिराज वाले नॉमिनेशन के दिन कृत्रिम भीड़ थी। गंगा पार पटना जिले के लोगों की अधिकता थी जिन्हें बेगूसराय आयातित किया गया था। सड़क के दोनों छोरों ट्रैफिक चौक और अम्बेडकर चौक पर इरादतन जाम लगाकर लोगों को सड़क पर ही अड़ा लिया गया था ताकि आम मुसाफिर भी जुलूस का हिस्सा लगें। फिर भी अधिकतम चार-पाँच हजार लोग जुटे होंगे। तनवीर भाय का आज का जुलूस गिरिराज के जुलूस पर भारी पड़ा। इस जुलूस में उस जुलूस से दुगुने लोग रहे होंगे। इनमें ज्यादातर राजद के झंडे से लैस ग्रामीण और कुछ राजद समर्पित मुसलमान वृद्ध तथा अधेड़ शामिल थे।

एक बात और कि गिरिराज की सभा के लिए सुशील मोदी आये जरूर लेकिन हेलिपैड पर उन्हें रिसीव तक करने को कोई नहीं था। बेहद गुस्सा हुए। गिरिराज को गिरा हुआ बताया और चलते बने। आज तनवीर भाय की सभा में तेजस्वी यादव, रामचन्द्र पूर्वे (राजद) और जीतनराम मांझी (हम) मौजूद थे। अब कुल देखना यह है कि कल जब कन्हैया नॉमिनेशन फ़ाइल करता है तो कितने लोग साथ होते हैं। गौरतलब है, उसकी चुनावी सभाओं में चूँकि रिकॉर्ड भीड़ रहती है इसलिए जनता का एक सामान्य आकलन है कि नॉमिनेशन में भी भारी भीड़ होनी चाहिए। बाकी रिपोर्ट कल देखते हैं।
लेेेखक- मणिभूषण सिंह

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