अपने ही देश में प्रवासी बन गए भारत के गरीब मजदूर, प्रवासी मजदूरों पर कन्हैया ने कही ये बात..

कोरोनावायरस के संकट से निपटने के लिए सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया है. जिसका सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर नजर आ रहा है है. काम नहीं होने के कारण शहरों में उनका जीवन यापन कठिन होता जा रहा है. ऐसे में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांवों की तरफ वापस लौट रहे हैं. मजदूरों की इन्हीं स्थितियों को लेकर जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ नेता कन्हैया कुमार ने चिंता जताई है. अपने ट्विटर अकाउंट पर कन्हैया ने लिखा कि प्रवासी मजदूरों को शहर में भी बाहरी कहा जाता है और गांव से पलायन कर जाने के कारण वो वहां के लिए भी परदेसी बन जाते हैं. अपने देश में ही प्रवासी बन गए इन मजदूरों का दर्द ये है कि लॉकडाउन ने शहर को इनके लिए रहने लायक नहीं छोड़ा और महामारी की आशंका इनको गाँव में घुसने नहीं दे रही.

कोरोना और उसके असर को लेकर कन्हैया अपने ट्विटर के जरिए पहले भी चिंता जाहिर कर चुके हैं. इससे पहले उन्होंने हादसों के शिकार होते प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार और समाज पर सवाल उठाया था. उन्होंने लिखा था कि कोरोना ने समाज के एक बड़े तबके को बुरी तरह से प्रभावित किया है. खासकर गरीबों-मजदूरों के लिए यह जीने-मरने का सवाल बन चुका है. अपने घर लौटने की जद्दोजहद में लगातार मजदूरों की जान जा रही है. कन्हैया ने लिखा कि सत्ता व समाज को इसे गंभीरता से लेना चाहिए वरना मानवता की हमारी सारी दलीलें खोखली साबित होगा.

बता दें कि देश में जारी लॉकडाउन (COVID-19 Lockdown) के बावजूद कोरोना से करीब 63 हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं. वहीं 2100 से ज्यादा लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोरोना से संक्रमितों की संख्या 62,939 हो गई है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,277 नए मामले सामने आए हैं और 128 लोगों की मौत हुई है. देश में अभी तक 2,109 लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि 19,358 मरीज इस बीमारी को मात देने में सफल भी हुए हैं. रिकवरी रेट की बात की जाए तो यह फिलहाल 30.75 फीसदी है.  

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