EXCLUSIVE : 370 हटने के बाद भी मुश्किल से बीत रहा कश्मीरियों का जीवन, आसान नहीं है लाइफस्टाइल

Rahul Kotiyal : अभी-अभी कश्मीर से लौट रहा हूँ. रिपोर्ट्स का सिलसिला अभी थमा नहीं है, जारी रहेगा. फ़िलहाल इतना जान लीजिए कि वहाँ इंटर्नेट और मोबाइल फ़ोन अब भी पूरी तरह से बंद हैं. सिर्फ़ पुलिस के कुछ आला अधिकारियों के बीएसएनएल मोबाइल खोले गए हैं लेकिन उनमें भी इंटर्नेट नहीं है. लैंडलाइन फ़ोन वैसे तो अब बचे ही चुनिंदा घरों में हैं लेकिन जिनमें हैं, वो भी नहीं चल रहे. सिर्फ़ कुछ तबक़ों में ही लैंड लाइन फ़ोन सेवा शुरू हुई है जैसे श्रीनगर के सिवल लाइन इलाक़े में. बाक़ी अधिकतर जगहों पर लैंड लाइन भी ठप हैं. केबल नेट्वर्क खोले गए थे लेकिन परसों से अधिकतर जगहों पर केबल टीवी भी बंद कर दिए गए हैं. मैं सुबह नौ बजे एयरपोर्ट के लिए निकला था, तब तक की स्थिति यह थी कि लैंड लाइन, केबल, मोबाइल, इंटर्नेट सब बंद थे. यहां तक कि पोस्ट ऑफ़िस भी बंद हैं लिहाज़ा डाक सेवा भी काम नहीं कर रही….

पत्रकारों को ‘मूवमेंट पास’ भी चुनिंदा इलाक़ों के लिए ही दिए जा रहे हैं. वो भी उन्हें जिनके सम्पर्क अच्छे हैं. इसलिए श्रीनगर में रुके पत्रकारों के लिए दक्षिण कश्मीर जाकर रिपोर्ट करना फ़िलहाल असम्भव-सा हो गया है. मैं व्यक्तिगत तौर से सिर्फ़ श्रीनगर, बारामूला, सोपोर, पलहालन और पांपोर (पुलवामा) जैसे इलाक़ों में ही जा सका और उसमें कई तरह की समस्याएँ आई. दक्षिण कश्मीर, जिसे अ’लगाववाद के लिहाज़ से ज़्यादा संवे’दनशील माना जाता है, फ़िलहाल अछूता ही है. जल्द ही अगला दौरा करने की तैयारी है और तब इस हिस्से में ज़रूर पहुँचने की कोशिश रहेगी.

कश्मीर में भी कई तबके हैं और हर तबके की अपनी कहानियाँ, अपने सवाल हैं. मेरी कोशिश थी ज़्यादा से ज़्यादा तबक़ों से बात हो सके. अपनी रिपोर्टिंग की पाँचवी कड़ी में मैंने कश्मीर के अल्पसंख्यकों (कश्मीरी पंडित, सिख, और गुज्जर समुदाय) से भी बात की है, पढ़िएगा.

फ़िलहाल जिन लोगों को बेहद संक्षेप में समझना है कि कश्मीर में क्या चल रहा है वो ये समझ लें कि अभी कश्मीर एक ऐसी बोतल में तब्दील हो चुका है जिसके अंदर लावा खौ,ल रहा है. लेकिन इस बोतल का ढक्कन बेहद मज़बूती से बंद करने में सरकार पूरी तरह सफल रही है.

लेख़क : राहुल कोटियाल(तस्वीर लाल चौक की है, भरी दोपहरी की..)

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *