खाली नहीं गईं मां की दुआएं: व्रत रखकर की थी बजरंग के मेडल की कामना, लाल ने किया कमाल

पहलवान बजरंग पूनिया को कड़ी तपस्या का फल मिल गया। बरसों से जारी साधना व्यर्थ नहीं गई। गोल्ड से चूके तो कांसे को कब्जा लिया। कजाखस्तान के पहलवान नियाजबेकोव दौलत को एकतरफा अंदाज में मात दी। इस मुकाम तक पहुंचना बजरंग के लिए इतना आसान भी नहीं था। 65 किग्रा भार में फेवरेट बनकर उतरे बजरंग के इस कांसे के साथ तोक्यो 2020 में भारत के पदकों की संख्या भी छह हो गई।

बजरंग के शुक्रवार को सेमीफाइनल हारते ही देश का दिल बैठ गया था। उम्मीद जताई गई कि शनिवार को कमाल होगा। हरियाणा का यह लाल रंग में लौटेगा। बजरंग की जीत के लिए उनकी मां ने शिवरात्रि का व्रत भी रखा था। मैच से पहले पिता जरूर उनकी जीत के प्रति आश्वस्त थे। आखिर उन्हीं की त्याग और मेहनत की बदौलत ही तो वह मिट्टी से मैट तक पहुंचे। भाई हरेंद्र का समर्पण भी किसी से छिपा नहीं।

भारत ने अबतक तोक्यो ओलिंपिक में दो रजत और चार कांस्य सहित कुल छह पदक जीते हैं, लेकिन उसे अबतक गोल्ड हासिल नहीं हुआ है। इससे पहले 2012 लंदन ओलिंपिक में भारत ने छह मेडल अपने नाम किए थे। 60 पुरुष और 23 महिला एथलीटों के साथ कुल 83 एथलीटों के दल ने दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज अपने नाम किए थे। शूटर विजय कुमार और पहलवान सुशील कुमार ने एक-एक सिल्वर, शूटर गगन नारंग और भारतीय शटलर साइना नेहवाल, मुक्केबाज मेरी कॉम और पहलवान योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक जीता था।

केडी जाधव भारत को कुश्ती में पदक दिलाने वाले पहले पहलवान थे, जिन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद सुशील ने बीजिंग में कांस्य और लंदन में रजत पदक हासिल किया। सुशील ओलंपिक में दो व्यक्तिगत स्पर्धा के पदक जीतने वाले अकेले भारतीय थे, लेकिन बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने कांस्य जीतकर बराबरी की। लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने भी कांस्य पदक जीता था। वहीं साक्षी मलिक ने रियो ओलिंपिक 2016 में कांस्य पदक हासिल किया था। 2020 में रवि दहिया ने सिल्वर मेडल जीता।

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