स्कूल में मैं पढ़ने में फिसड्डी था, 40 बच्चों में मेरा स्थान 37 था, परिवार वाले तंग आ चुके थे

मैं स्कूल के दौरान पढ़ने में काफी फिसड्डी था. पढ़ने में मन ही नहीं लगता था. सोचता था कि कब छुट्टी हो और भागकर घर पहुंच जाए. कक्षा में कुल 40 बच्चे थे जिसमें से मेरा स्थान 37 था. यह कहना है पटना के खान सर का. वही खान सर जो आज सिर्फ पटना ही नहीं पूरे देश में अपनी पढ़ाई की नई शैली को लेकर प्रसिद्ध है. लल्लनटॉप को दिए गए एक इंटरव्यू में खान सर ने बताया कि कैसे क्लास वन से लेकर क्लास 8 तक उनकी पढ़ाई अंग्रेजी मीडियम स्कूल में हुई.

क्योंकि उन्हें अंग्रेजी समझ में नहीं आती थी इसलिए उन्हें पढ़ने में मन नहीं लगता था. परिणाम स्वरुप उनका रिजल्ट खराब आता था. परिवार वाले परेशान रहते थे कि आखिर यह लड़का बड़ा होकर क्या करेगा. लेकिन जब कक्षा 9 में उन्होंने स्कूल बदलकर यूपी बोर्ड के हिंदी मीडियम स्कूल में अपना एडमिशन करवाया तो अचानक चमत्कार सा हो गया. कक्षा नौ और कक्षा 10 अर्थात मैट्रिक के रिजल्ट में अप्रत्याशित जबरदस्त सुधार हुआ.

लोग विश्वास ही नहीं कर रहे थे कि यह रिजल्ट इसी लड़के का है जो पिछले विगत सालों से काफी खराब नंबर ला रहा था. खान सर का मानना है कि बच्चों को अगर विषय समझ में आए तो उन्हें पढ़ने में जरूर मन लगेगा और नंबर अपने आप आएंगे. खान सर यह भी कहते हैं कि शिक्षकों को रोचक ढंग से बच्चों को पढ़ाना चाहिए यह नहीं कि कुछ से कुछ पढ़ा दिए और चल दिए.

खान सर बताते हैं कि मैट्रिक रिजल्ट देख कर परिवार वालों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि यह बच्चा कुछ करें या ना करें अपना पेट जरूर पाल लेगा. खान सर की माने तो वह आर्मी ज्वाइन करना चाहते थे. देश की रक्षा करना चाहते थे. बॉर्डर पर जाकर दुश्मनों से लड़ना चाहते थे. लेकिन जन्म से उनके साथ एक परेशानी थी. उनका हाथ कुछ टेढ़ा था, जिस कारण उन्हें आर्मी की बहाली में शामिल नहीं किया गया.

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