खरना शुरू, परवैतिनों ने मिट्‌टी के चूल्हे पर बनाया प्रसाद, शुरू हुआ 36 घंटे का निर्जला व्रत

छठ महापर्व का आज दूसरा दिन है। छठ करने वाली व्रतियों ने खरना का प्रसाद बनाया। इसके लिए वो पूरे दिन निर्जल रहे। सुबह में सबसे पहले गंगा घाट गए। वहीं नदी में स्नान किया। फिर गंगा जल अपने घर लेकर आए। खरना का प्रसाद बनाने वाली जगह को पूरी तरह से खुद ही साफ किया। इसके बाद मिट्‌टी का चूल्हा बनाया। इसी चूल्हे पर आम की लकड़ी से जलाई गई आग पर खरना का प्रसाद बनाया गया।

भात और चने की दाल का भी प्रसाद
दूध और गुड़ से चावल की खीर बनाई गई। कई जगहों पर इसे रसिया भी कहा जाता है। खीर के साथ प्रसाद में रोटी बनाई गई। इसके लिए आज ही के दिन गेहूं को पिसवाया गया। चावल के आटे से छोटा-छोटा पिट्‌ठा बनाया गया। कई जगहों पर व्रत करने वालों ने सेंधा नमक का इस्तेमाल कर भी प्रसाद बनाया। इसमें भात और चने की दाल होती है। खास बात ये है कि खरना का प्रसाद बनाने में व्रतियों की मदद के लिए घर की जो महिलाएं शामिल होती हैं, वो भी भूखे पेट रहती हैं। वो भी व्रत रख कर ही प्रसाद बनाती हैं। इसी से आप समझ सकते हैं कि धर्म और आस्था के प्रति छठ महापर्व में खरना के प्रसाद का कितना बड़ा महत्व है।

केले के पत्ते पर लगा भोग
प्रसाद बनाने के बाद शाम के वक्त व्रतियों ने भगवान सूर्य की पूजा की। चन्द्रमा को अर्घ्य दिया। छठी मइया की पूजा और आराधना करते हुए केले के पत्ते पर प्रसाद का भोग लगाया। भगवान को भोग लगाने के बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद ही परिवार और घर आए मेहमानों के बीच प्रसाद बांटे गए, उन्हें खिलाया गया। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का लगातार 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया है। शुक्रवार को शाम में ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। फिर शनिवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह महापर्व संपन्न हो जाएगा।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *