केके पाठक और BPSC के बीच महाभारत शुरू, सर्टिफिकेट सत्यापन में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर हो रहा तकरार
कागजात सत्यापन में शिक्षकों की तैनाती का मुद्दा, शिक्षा विभाग की अब बीपीएससी से तकरार :
शिक्षा विभाग की अब बीपीएससी से ठन गई है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने मंगलवार को बीपीएससी को पत्र लिखकर शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच में शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तैनाती पर आपत्ति जताई थी। इसके जवाब में शुक्रवार को बीपीएससी के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया। साथ ही आयोग के सचिव की ओर से जवाबी पत्र भेजा गया। आयोग के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करने की हिदायत भी शिक्षा विभाग को दी गई है। बीपीएससी ने पत्र लिखने को शिक्षा विभाग की धृष्टता करार दिया है। यही नहीं, भविष्य में ऐसी धृष्टता नहीं करने की चेतावनी भी दी है। फिलहाल शिक्षा विभाग की ओर से बीपीएससी के पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में आयोग के सचिव रवि भूषण ने कहा है शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की जांच पूर्व से चली आ रही व्यवस्था के तहत की जा रही है। यह दो स्तरों पर होती है। पहले बीपीसएसी अपने स्तर से करती है। फिर अधियाची विभाग सफल अभ्यर्थियों के नियोजन के समय कराता है। बिना अपने स्तर से सत्यापन के आयोग न कोई अनुशंसा भेज सकता है ना ही डोसियर। सत्यापन कार्य में राज्य सरकार सहयोग करती रही है। इसके लिए किस विभाग के किस पदाधिकारी और कर्मी की प्रतिनियुक्ति की जाय, यह राज्य सरकार का विषय है। इसमें कोई भी आपत्ति या अनुरोध सरकार से किया जाना चाहिए।
बीपीएससी अध्यक्ष का कड़ा ट्वीट
सरकार अपने अधिकारियों को प्रतिनियुक्त करती है और बाद में उन्हें बदल देती है। इससे हमें कोई चिंता नहीं होती है। बिना नाम लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को निशाने पर लेते हुए आगे लिखा है, ‘लेकिन ऐसे तत्व जो टीआरई-डीवी (शिक्षक भर्ती परीक्षा-प्रमाणपत्र सत्यापन) रद्द कराने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें और ज्यादा कोशिश करनी चाहिए। स्पष्ट किया कि सत्यापन जारी रहेगा।
शिक्षा विभाग का पत्र
मंगलवार माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने बीपीएससी के सचिव को पत्र भेजकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों, कर्मियों और शिक्षकों को प्रमाण पत्र सत्यापन कार्य से अलग करने का आग्रह किया था। कहा था इस बाबत प्रतिनियुक्ति किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। अविलंब उन्हें मुक्त किया जाय। उसके बाद बुधवार को मुख्य सचिव ने सभी डीएम को पत्र भेजकर शिक्षा विभाग के अफसरों, शिक्षकों को सत्यापन कार्य से अलग करने को कहा था।
आयोग का जवाब
शुक्रवार आयोग ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि सत्यापन कार्य बीपीसएसी का आंतरिक मामला है। बीपीएससी शिक्षा विभाग या राज्य सरकार के अधीन नहीं है। यह स्पष्ट न हो तो इसके लिए संविधान का अध्ययन कर लिया जाए। आयोग की आंतरिक प्रक्रिया के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करना या किसी प्रकार का हस्तक्षेप करना और दबाव डालने का प्रयास करना असंवैधानिक, अनुचित और अस्वीकार्य है।
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