बिहार में तेजस्वी CM बने तो कश्मीर के अब्दुल्ला परिवार की बराबरी कर लेगी लालू की फैमिली

PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव के एग्जिल पोल अगर 10 नवंबर को नतीजे में तब्दील होते हैं तो महागठबंधन की सरकार बनना तय है. ऐसे में सत्ता की कमान आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के हाथों में होगी. तेजस्वी के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही एक ही परिवार से राज्य का तीसरा सीएम बनने का गौरव हासिल हो जाएगा, जो कि बिहार में इकलौता और देश में दूसरा सियासी घराना होगा. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का परिवार कश्मीर के अब्दुल्ला फैमिली से तीन सदस्यों के सीएम बनने के रिकार्ड की बराबरी कर लेगा. हालांकि, देश में लालू का यह अनोखा परिवार होगा, जहां पिता, मां और बेटा तीनों ही मुख्यमंत्री बने हों. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के मुताबिक बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को राज्य के कुल 243 सीटों में से 139 से 161 सीटें मिलने की संभावना है जबकि नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए को 69 से 91 सीटें मिल सकती हैं. यही नहीं बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए लोगों की पहली पसंद भी तेजस्वी यादव बनकर उभरे हैं, जिन्हें 44 फीसदी लोगों ने अपना समर्थन दिया है. एग्जिट पोल के अनुमान चुनावी नतीजों में बदलते हैं तो तेजस्वी यादव का सीएम बनना तय है. इस तरह से तेजस्वी यादव आरजेडी प्रमुख लालू के परिवार के तीसरे सदस्य होंगे, जो बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होंगे. तेजस्वी यादव के सीएम की शपथ लेते ही बिहार की राजनीति ही नहीं बल्कि देश में यह अनोखा रिकॉर्ड बनाएंगे, जहां पिता, मां और बेटा तीन ही सीएम बने हों.

तेजस्वी यादव के पिता और आरजेडी के सुप्रीमो लालू यादव ने सत्तर के दशक में राजनीति में कदम रखा, लेकिन सत्ता का सिंहासन 90 के दशक में मिला. लालू यादव बिहार में 1990 से 1997 तक दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. लालू पहली बार 1990 में जनता दल की सरकार में मुख्यमंत्री बने और दूसरी बार 1995 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आए, लेकिन 1997 में चारा घोटाला मामले में जेल जाने के चलते सीएम के पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनीं. 1997 से 2005 के बीच तीन बार राबड़ी देवी मुख्यमंत्री रहीं. हालांकि, 2005 में लालू परिवार के हाथों से जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सत्ता छीन ली और अब फिर 15 साल के सियासी वनवास के बाद लालू परिवार की दोबारा से सत्ता में वापसी होती दिख रही है. ऐसे में आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को सत्ता मिलती है तो लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनना तय है. ऐसे में तेजस्वी यादव के शपथ लेते ही लालू परिवार के नाम इतिहास रिकॉर्ड हो जाएगा. लालू परिवार से पहले एक ही राज्य में एक ही परिवार से तीन मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड कश्मीर के अब्दुल्ला परिवार के नाम है. अब्दुल्ला परिवार ने जम्मू-कश्मीर को तीन मुख्यमंत्री दिए, लेकिन ये तीन पीढ़ियों में फैले हुए हैं. शेख अब्दुल्ला, फारूक अब्लुल्ला और उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने हैं. शेख अब्दुल्ला 1975 और 1977 में दो बार जम्मू-कश्मीर के सीएम रहे जबकि वहां पर 1965 से पहले प्रधानमंत्री चुना जाता था. शेख अब्दुल्ला का 1982 में निधन हो जाने के बाद उनकी राजनीतिक विरासत उनके बेटे फारूख अब्दुल्ला ने संभाली.

फारुक अब्दुल्ला पहली बार 1982 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने पांच बार सीएम के रूप में काम किया. इसके बाद अब्दुल्ला परिवार से तीसरी पीढ़ी के उमर अब्दुल्ला ने सियासत में कदम रखा और 2009 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने. इस तरह से अब्दुल्ला परिवार के तीन पीढि़यों के तीन सदस्य सत्ता की कमान संभाली. इसके अलावा, फारूक अब्दुल्ला के बहनोई गुलाम मोहम्मद शाह भी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं. हालांकि, फारूक की मां बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला दो बार श्रीनगर से लोकसभा सांसद रहीं. लेकिन तब, जम्मू- कश्मीर एक अशांत इतिहास वाला छोटा राज्य रहा. 2019 से जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है. बता दें कि देश में कई सियासी घराने हैं, जहां एक ही परिवार से दो सदस्य मुख्यमंत्री बने हों, लेकिन तीन सदस्यों के सीएम बनने का रिकॉर्ड अब्दुल्ला परिवार के पास है, जिसकी बराबरी करता अब लालू परिवार दिख रहा है. मंगलवार को चुनावी नतीजे महागठबंधन के पक्ष में आते हैं और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं, तो एक नया खिताब उनके नाम होगा. हालांकि, एक ही परिवार के तीन सदस्यों के सांसद और विधायक बनने का रिकार्ड तो कई परिवार हैं, जिनमें अभिनेताओं से नेता बनने वाले में देओल परिवार ने अभिनेता धर्मेंद्र को 2004 लोकसभा चुनाव में बीकानेर से बीजेपी के टिकट पर कामयाबी मिली. उनकी पत्नी हेमा मालिनी मथुरा से सांसद हैं. धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश के बेटे सनी देओल 2019 में पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. बच्चन परिवार के भी तीन सदस्य संसद के सदस्य रहे. कवि हरिवंश राय बच्चन, अमिताभ बच्चन और जया बच्चन. इनमें सिर्फ अमिताभ 1984 में इलाहाबाद से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. बाकी दोनों ने राज्यसभा में नुमाइंदगी की.

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