मोदी जी आप जिस छुद्र मानसिकता से देश चला रहे हैं, उस से पंचायत चल सकता है, देश नहीं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम खुला पत्र:

प्रधानमंत्री जी, आप जिस छुद्र और संकीर्ण मानसिकता से देश चला रहे हैं, उस मानसिकता से एक पंचायत को चलाया जा सकता है, देश नहीं. आप भारत जैसे एक विशाल देश का प्रधानमंत्री हैं, किसी पंचायत का मुखिया नहीं कि दो टोले का वोट ले लिया, मुखिया बन गए. BDO के साथ मिलकर नरेगा में धांधली कर ली और हो गया.

देश चलाना बहुत कठिन काम है. सिर्फ चुनाव जीतने से ही देश मजबूत नहीं हो जाता है. ये बात सभी राजनीतिक पार्टिओं को बुरी लगेगी, मगर सच्चाई यही है कि इस देश में हर चुनाव के बाद देश का संविधान कमजोर हो जाता है. देश कमजोर हो जाता है. क्यूंकि चुनाव जिन मुद्दों और हथकंडों को अपनाकर जीता जाता है वो देश को, समाज को कमजोर ही करता है.

किसी भी राजनीतिक पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है, मगर सभी राजनीतिक पार्टियाँ संविधान की रक्षा की बात करती है. ये भी कमाल की बात है.

आपको लगता है कि आपकी पार्टी चूँकि भारी बहुमत से चुनाव जीती है, इसलिए आप इस देश को कमजोर करते जाएंगे. अपनी राजनीति से इस देश के टुकड़े टुकड़े करने की कोशिश करने का जनादेश आपको नहीं मिला था.

पिछले छः सालों से आप एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत की राजनीति कर रहे हैं और सारे सवाल उसी समुदाय से करते हैं. आप नफरत की राजनीति बंद कीजिए, वो लोग भी मान जाएंगे कि नागरिकता कानून इस देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है. पडोसी देशों के हिन्दू रिफ्यूजी के लिए है. मगर आप ऐसा करेंगे नहीं. क्यूंकि आपको देश में अमन चैन से मतलब नहीं है. आपका मकसद सिर्फ और सिर्फ चुनाव जीतना है.

आपके नागरिकता कानून का लिखित मकसद पडोसी देशों के हिन्दुओं को इस देश की नागरिकता देना है. मगर अलिखित मकसद उस कानून की आड़ में देश की हवा में साम्प्रदायिक ज़हर घोलना है.

आपके ट्रिपल तलाक कानून का लिखित मकसद मुस्लिम महिलाओं की मदद करना है, मगर उसका अलिखित मकसद हिन्दू सवर्ण पुरुषों को खुश करना है.

ऐसे देश नहीं चलता है, ये बात आप नहीं समझ सकते. क्यूंकि आपके वैचारिक पुरखों ने इस देश की आजादी के लिए लड़ाइयाँ नहीं लड़ी थी. अंग्रेजों से माफ़ी मांगी थी.

देश आज़ाद होने के बाद भी आपके विचारिक पुरखे किसके साथ थे? जब प्रिवी पर्स हटा था तब राजाओं महराजाओं के साथ थे. जब बैंक का राष्ट्रीयकरण हुआ था तब धन्ना सेठों के साथ थे. इसलिए आप नहीं समझेंगे कि देश कैसे चलाया जाता है.

आपकी राजनीति की वज़ह से पार्लियामेंट का इकबाल ख़त्म हुआ है. इसलिए, क्यूंकि पार्लियामेंट इस देश के इकबाल को संदिग्ध नागरिक घोषित करना चाहता है.

आज केरल ने संसद द्वारा बनाए कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है. कल बांकी राज्य भी करेंगे. आपको इसका दूरगामी प्रभाव नहीं दिखाई देता है. क्यूंकि स्वार्थ ने आपको अँधा कर दिया है.

कल कश्मीर में भी चुनाव करवाएंगे आप. हो सकता है कश्मीर का विधानसभा कोई ऐसा प्रस्ताव पास कर दे, जिससे दुनिया भर में भारत का पक्ष कमजोर हो जाए. मगर वो अवसर भी आपके लिए राजनीति का अवसर होगा. चुनाव जीतने का मौका होगा.

चाहे संसद हो या प्रधानमंत्री का पद, उसका इकबाल सिर्फ उसे मिले संवैधानिक अधिकारों से कायम नहीं होता है. अपने दायित्वों के निर्वहन से होता है. मगर आप ये बात नहीं जानते हैं क्यूंकि एक दिन आपकी कार के नीचे कोई कुत्ते का पिल्ला आ गया था और आपकी सोचने समझने की शक्ति ख़तम हो गई थी.

आपने अपनी राजनीति से इस देश को बहुत कमजोर कर दिया है. अभी भी मौका है बचा लीजिए इस देश को.

इस देश का एक नागरिक,
पंकज कुमार चौधरी

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