मां ने मुझे शराब बेचकर पहले MBBS डॉक्टर फिर IAS अधिकारी बना दिया, मुझे उन पर नाज है
नई दिल्ली 17 अप्रैल 2023 : मेरा नाम राजेंद्र भारुड़ है. मुझे अपनी मां पर बहुत गर्व है. वह शराब बेचने का काम करती थी. उन्होंने मुझे पढ़ाने के लिए शराब बेचने का फैसला लिया. शराब बेचकर उन्होंने पहले मुझे एमबीबीएस डॉक्टर बनाया और फिर आईएएस अधिकारी बना दिया. दोस्तों आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाने जा रहा हूं. सुनने में भले आपको यह कहानी फिल्मी लगे लेकिन या काल्पनिक नहीं बल्कि सच है.
मैं महाराष्ट्र का रहने वाला हूं. यहां सकरी नामक एक तालुका है. मेरे गांव का नाम सामोदी है. मेरा जन्म 7 जनवरी 1988 को हुआ था. मेरे जन्म से पहले ही मेरे पिताजी का निधन हो चुका था. हम बेहद गरीब परिवार से आते हैं. हमारे घर की स्थिति का अंदाजा आप इसी बातों से लगा सकते हैं कि हमारा घर गन्ने के पत्तों से बना हुआ था. आसान भाषा में कहा जाए तो किसी तरह हम घर में रहकर गुजर-बसर कर रहे थे. पिताजी के गुजरने के बाद स्थिति बद से बदतर हो गई. घर की सारी जिम्मेवारी मां कमलाबाई के कंधों पर आ गई. नहीं पता है कि मेरे पिता दिखने में कैसे थे. गरीबी के कारण वह कभी अपना फोटो नहीं खिंचवा पाए. मां कहती है कि हाथ पर पैसे होते तभी तो स्टूडियो जाकर फोटो खिंचवा पाते.

हम तीन भाई बहन थे. मां और दादी ने मिलकर हम तीनों का भरण पोषण किया. घर का खर्च निकालने के लिए मां और दादी ने शराब बेचना आरंभ किया . मां खुद से देसी शराब बनाती थी और फिर उसे बेच दी थी. इसके बावजूद रोज की आमदनी मात्र ₹100 हुआ करता था. अब आप कल्पना कीजिए कि कोई भी घर ₹100 में कैसे चलेगा. दीदी के बावजूद माने हम सभी बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया और हर सुख सुविधा उपलब्ध. हम लोग स्थानीय सरकारी स्कूल में पढ़ने जाया करते थे.
मां कहती है कि मैं बचपन से ही पढ़ने में होशियार था. यही कारण है कि एक स्कूल के शिक्षक ने मां से कहा था कि अगर तुम अपने बेटे को बड़ा आदमी बनाना चाहती हो तो इसे अच्छे स्कूल में भेजो. उस समय में कक्षा पांचवी का छात्र था. उस स्कूल के टीचर ने मां को यदि बताया कि अगर नवोदय विद्यालय में मेरा एडमिशन हो जाता है तो मुझे इंटर तक की पढ़ाई के लिए कोई पैसा खर्च नहीं करना होगा. मां को पता था कि नवोदय विद्यालय में रहना और खाना फ्री मिलता है.

नवोदय विद्यालय मेरे घर से 150 किलोमीटर दूर था. मैंने अच्छे से मेहनत किया और सेलेक्ट हो गया. पढ़ाई के दौरान मैंने जमकर मेहनत किया और मैट्रिक और इंटर परीक्षा में टॉपर बन परचम लहराया. स्कॉलरशिप मिलने के कारण आसानी से मेरा एडमिशन मुंबई के सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज में हो गया. मैं अच्छे से एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बनना चाहता था और कमाई करने के बाद मां की मदद करना चाहता था.
इसी बीच मेरे मन में ख्याल आया कि मेरे जैसे लाखों बच्चे गरीबी के कारण ना तो ठीक से जीवन यापन कर पाते होंगे और ना ही शिक्षा प्राप्त कर पाते होंगे. क्यों ना इन सब लोगों की मदद की जाए. इस कारण मैंने एमबीबीएस परीक्षा पास करने के बाद आईएएस अधिकारी बनने का फैसला लिया. मैंने पहली बार नहीं यूपीएससी परीक्षा पास कर ली. आप सोच सकते हैं कि पहले एमबीबीएस की परीक्षा फिर आईएएस की परीक्षा पास करना कोई आसान काम नहीं था.
आईएएस बनने के बाद जब मैंने मां को बताया कि मैं अफसर बन गया हूं तो मां को आश्चर्य हो रहा था. तुमको बस यही पता था कि उनका बेटा डॉक्टर बन चुका है अब मरीजों का इलाज करेगा. वाया नहीं जानती थी कि आईएएस अधिकारी क्या होता है और उसका रुतबा कैसा होता है.
मैंने पहले प्रयास में यूपीएससी क्लियर करने के बाद साल 2012 में फरीदाबाद में आईआरएस अधिकारी के पद पर तैनात हुआ लेकिन मेरा मन इस काम में नहीं लग रहा था मुझे आईएएस अधिकारी बनना था. मैंने फिर से यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला किया और इस बार अच्छे अंको से पास हुआ.2015 में मुझे नांदेड जिला का डीएम बनाया गया.
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