18 जुलाई से से शुरू हो मिथिला का लोक पर्व मधुश्रावणी, फूल लोढ़ने सज—धजकर घर से निकलेंगे ​नव विवाहिताएं

PATNA-मधुश्रावणी : पति की लंबी आयु के लिए कल से व्रत रखेंगी नवविवाहिता, टेमी दागने की अनोखी परंपरा पति-पत्नी में दर्शाता है प्रेम भाव : मिथिलांचल का मधुश्रावणी व्रत सावन कृष्ण पंचमी सोमवार से शुरू हो रहा है। यह 13 दिन तक चलता है। यह पर्व 18 जुलाई से शुरू हाेकर सावन शुक्ल तृतीया 31 जुलाई रविवार को संपन्न होगा। इस पर्व में मिथिला की नवविवाहिता अपने पति की लंबी आयु के लिए माता गौरी की पूजा बासी फूल से करती हैं। एक दिन पहले शाम में ही कई प्रकार के पुष्प, पत्र की व्यवस्था कर ली जाती है और उसी से माता पार्वती के साथ भगवान भोलेनाथ और विषहरी नागिन की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। अनुष्ठान के दौरान व्रत रखने वाली महिलाएं बिना नमक का भोजन ग्रहण करती हैं। इस पूजा में पुरोहित की भूमिका में भी महिलाएं ही रहती हैं। इस अनुष्ठान के पहले और अंतिम दिन पूरे विधि विधान से पूजा होती है। आचार्य राकेश झा के अनुसार पूजा के माध्यम से सुहागन अपनी सुहाग की रक्षा की कामना करती है। इस दौरान ठुमरी और कजरी गाकर देवी उमा को प्रसन्न करती हैं। मधुश्रावणी की पूजा के बाद हर दिन अलग-अलग कथाएं भी कही जाती हैं।

श्रावण शुक्ल तृतीया यानि मधुश्रावणी व्रत के अंतिम दिन टेमी दागने की भी अनोखी परंपरा है। मिथिला की नवविवाहिता 31 अगस्त दिन रविवार को इस परंपरा का निर्वहन करेंगी। इसमें पति अपने पत्नी की आंखों को पान के पत्ता से ढ़क देता है। दूसरी महिलाएं दीए की लौ से नव विवाहिता के घुटने और पैरों को दागती है, जिसे टेमी दागना कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे पैरों और घुटने में जो फफोले आते है, वे पति-पत्नी के प्रेम भाव को दर्शाता है। फफोले के आकर से अनुमानित किया जाता है कि दोनों का प्रेम संबंध कितना प्रगाढ़ है। पूजा के बाद पति अपने पत्नी को सिंदूर लगाता है, जो दोनों के आपसी प्रेम भाव को दर्शाता है।

ससुराल से मिली सामग्री से पूजा
मिथिलांचल में मधुश्रावणी पूजा के दौरान नवविवाहित महिलाएं अपने मायके चली जाती हैं और वहीं इस पर्व को मनाती हैं। इस पूरे अनुष्ठान में उपयोग होने वाली सामग्री, वस्त्र, शृंगार प्रसाधन, भोजन सामग्री आदि सब कुछ ससुराल से ही आता है। प्रत्येक दिन पूजा के बाद शिव-पार्वती के चरित्र का सुनाया जाता है। मान्यता है कि इस पूजन से वैवाहिक जीवन में स्नेह और सुहाग बना रहता है।

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