महासप्तमी आज, प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही खुल जाएंगे राजधानी के सभी पूजा-पंडालों के पट, दर्शन देंगी माता

सूर्योदय से सुबह 9 बजे तक प्रतिमा स्थापना व प्राण-प्रतिष्ठा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त, शाम से उमड़ने लगेंगे श्रद्धालु

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:…। शनिवार महासप्तमी तिथि में वैदिक मंत्रोच्चार से पूजा-अर्चना के साथ राजधानी के सभी पूजा पंडालों के पट खुल जाएंगे। इसके बाद माता का दर्शन-पूजन शुरू हाे जाएगा। शनिवार प्रात: नवपत्रिका के साथ मां जगत जननी जगदंबा दुर्गा का पट सुबह 7.30 बजे से खुलना शुरू हाे जाएगा।
सप्तमी तिथि 2.13 बजे तक रहेगी, इस दाैरान पट खाेलने का सर्वोत्तम मुहूर्त है। वैसे शाम में भी पट खाेला जा सकता है। ज्याेर्तिवेद विज्ञान केंद्र के निदेशक डाॅ. राजनाथ झा के अनुसार पूर्वाह्न में देवी का अावाह्न अाैर विसर्जन करना धर्म शास्त्र में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
षष्ठी को जोड़ा बेल की हुई पूजा: इस बीच शुक्रवार को षष्ठी पूजा के साथ महासप्तमी के दिन माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना को लेकर पूरा शहर तैयारी में लीन नजर आया। जगह-जगह षष्ठी पूजा के दौरान नवरात्र में आराधना कर रहे श्रद्धालुओं ने बेल के पेड़ में जोड़ा बेल की विधिवत पूजा की। मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर बांस घाट के मुख्य पुजारी पंडित संजय कुमार तिवारी उर्फ शशि बाबा के अनुसार उदया तिथि में माता की आराधना का फल सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। महासप्तमी की रात्रि में निशा पूजा होगी, जो प्रात: काल तक चलेगी। इस दौरान श्री सिद्धेश्वरी काली मंदिर में विशेष पूजा होगी। निशा पूजा के दौरान तांत्रिक श्मशान जगाएंगे और कालरात्री की पूजा करेंगे।

डाकबंगला में सुबह दस बजे खुलेगा पट, डाेमन भगत लेन : सुबह 9 बजे डाकबंगला चौराहा : सुबह 10 बजे, शेखपुरा दुर्गा आश्रम : सुबह 11.38 बजे, गाेड़िया मठ यारपुर पुल : दिन के 2 बजे, हनुमान नगर : शाम 7 बजे, श्रीकृष्णापुरी बाेरिंग राेड : सुबह 11.30 बजे, जीएम राेड पूजा समिति : दिन के 1.30 बजे, अानंदपुरी हिमगिरी चाैराहा : दिन के 12.15 बजे, बेली राेड रूकनपुरा : दिन के 12 बजे, जगदेव पथ माेड़ : सुबह 9.30 बजे

महाअष्टमी व्रत कल, 8 को होगा पारण
शनिवार काे मूल नक्षत्र के संयाेग से महासप्तमी का दिन इस बार विशेष संयाेग लेकर अाया है। रात्रि 10.30 बजे के बाद मां दुर्गा का माेहरात्रि निशा पूजा भी की जाएगी। 6 अक्टूबर काे महाअष्टमी व्रत, संधि पूजा एवं दीक्षा ग्रहण करने का शुभ मुहूर्त हाेगा। 7 काे महानवमी व्रत, त्रिशूलनी पूजा, हवन, कुंवारी-बटुक पूजन-भाेजन व हवन के साथ नवरात्रि की पूर्णाहुति की जाएगी। 8 अक्टूबर काे अपराजिता पूजा, विजयादशमी, जयंती धारण, नीलकंठ पक्षी दर्शन के साथ व्रत का पारण हाेगा।

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