‘फ्लॉप’ रहल मैथिली लिटरेचर फरस्टिवल 2019, लेखक महोदय लोकनि ‘घिनौलनि’

मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल-२०१९ दिल्ली – समीक्षा फटकी सँ

सभ सँ पहिने आयोजन समितिकेँ आ समिति’क सहयोगी समस्त व्यक्ति ओ अकादमीकेँ एहिबात लेल धन्यवाद ज्ञापित करैत छियनि जे मैथिली लेल कोनहुँ आयोजन करैत छथि। अपना-अपनीमे लागल एहिजगमे एखनहुँ किछू लोक अपना मातृभाषा लेल अपना चानिकेँ केस उड़बै छथि, ताहिलेल एहितरहक व्यक्ति प्रणम्य छथि।

आयोजनमे सभ सँ नीक गप ई जे पाग-दोपटा आ मखान माला वला फॉर्मेलिटी सँ परहेज काएल गेलैक। ई एकटा नीक गप। आयोजन समितिकेँ फण्ड आ समय दून्नु बचलनि। एहितरहक आयोजनमे उपरोक्त फॉर्मेलिटी नहिए होएबाक चाही। किओ करैत छथि त मात्र देखाबा आ पाईकेँ बर्बादी लेल करैत छथि।

एहिबेरकेँ आयोजन भ गेलैक हमरा ओतबे सँ संतोष अछि। आयोजन भेनाइ सँ फराक, किछू नव किंवा नीक नहि देखबामे आएल। एक-एक क’ किछू बिंदु पर बात करैत छी :

१. कवि सम्मेलन/गोष्ठी : मैथिली मंच’क सभ सँ दुर्भाग्यपूर्ण गप ई छैक जे मैथिली’क कोनहुँ मंच कविकें नहि त हुनका अपना रचनाकेँ एक्स्प्लोर करबाक अवसर दैत छथिन नहिए अपना व्यक्तित्वकेँ। मातृभाषाकेँ की एक्स्प्लोर करताह! मैथिली’क कमोबेश सभ मंच केर सेलेक्शन प्रोसेस पर त प्रश्नचिन्ह सभदिन सँ रहबे केलैक अछि। कविकेँ आमंत्रित ई कहि काएल जाइत छनि जे “समय बड्ड कम छै, आउ सुनि फंला बाबू’क रचना, पछाति हमसभ फंला बाबूकेँ सुनब”। कविकें पहिनहि कहि दैत छथिन – बड्ड दियादे नओतल छथिन, तैं कम समयमे एकटा रचना कहियौ, पछाति फंला बाबू एथिन। फंला बाबू, आँहा तैयार रहू”।

मात्र आयोजकेँ नहि। कवि सभकें सेहो ई नहि भान छनि जे स्टोरी टेलिंग, पोएट्री ओ बुक रीडिंगमे अंतर की छैक। कथा-वाचन काल एक्कहि सांसमे सभटा पढ़ि दैत छथिन। कविता तेना कहैत छथिन जेना क्लासमे ठाढ़ भ किताब पढ़ि रहला अछि। दर्शक किंवा श्रोताकेँ बाँहि क’ रखबाक कलाकेँ घोर अभाव छनि।

२. वक्ता’क अधलाह चयन : बहुत वक्ता अपन बात रखैत काल किताब जँका अपना बातकेँ पढ़ैत देखेलाह। जौं बात रखनाइ छैक त लिखल बाज’ वला कएक सॉफ्टवेयर छैक, हुनका सँ कंटेंट ल लिअव आ हुनिक बातकेँ ओहि सॉफ्टवेयर सँ बजा’क लोककेँ सुना दियौन। वक्ता आ आयोजक दून्नुकेँ पाई आ समय बचतनि। कोनहुँ मुद्दा पर अपन बात राखब एकटा पैघ जिम्मेदारी छैक। जे लोक आँहाके। सुनबाक लेल अबैत छथि, ओ आँहाकेँ बात बुझि घर फिरता जाथि ताहि बातक विशेष अखिआस रखबाक खगता होइत छैक। तैं, आयोजक वक्ता’क चयन करैत काल विशेष जिम्मेदार रहथि।

३. विमर्श’क मुद्दा’क गलत चुनाव : एहिबेरकेँ कोनहुँ विमर्श’क मुद्दा आकर्षक नहि लागल। नहिए ओहिमे एहन कोनहुँ जिम्मेदारी लागल जे ई विमर्श भाषा’क समृद्धि लेल काएल जा रहलएक अछि। समसामयिक बड्ड रास मुद्दा छैक जाहि पर विमर्श जरूरी छैक। हमरा लोकनि गेलहे गीत गबैत रहै छी। लिटरेचर फेस्टिवल मात्र कवि/लेखके मात्र लेल नहि होइत छैक। आँहा’क विमर्शमे सिनेमा, समाज, नाटक, लोक-संगीत, लोकनृत्य, सभटा हेराएल रहल।

४. विमार्शकर्ता’क अध्ययनमे कमी : बड्ड रास मुद्दा पर डिबेट होइत काल एहन लागल जेना नहि त डिबेट संचालक ठीक सँ प्रश्न पुछि रहलखिन अछि, नहिए उतारा देनिहार/देनिहारि जिम्मेदारी सँ उतारा द रहलखिन अछि। सभ मात्र अपन भांज पूरा रहला अछि। जखन की भाषायी डिबेट सभ सँ ओझराएल काज छैक। एहिलेल बड्ड रास अध्ययन, शोध, रेफेरेंस, ओ चालाकीकेँ खगता होइत छैक। डिबेटकेँ अंतमे की सभ बात निकैल क एलैक, ताहिकें ब्रीफिंग सेहो नहि होइत देखल।

५. मुद्दा ओ व्यक्ति’क चयन प्रक्रिया : हमरा नहि बुझल अछि ने ओ केसभ छथि जे एहितरक पैघ स्तरीय कार्यक्रममे मुद्दा ओ व्यक्ता’क चयनकेँ फाइनल टच दैत छथिन मुदा, एतबा जरूर बुझल अछि, हुनका आब कनि अपनाकेँ एक्स्प्लोर करबाक खगता छनि। सभ सँ पहिने मुद्दा की होएबाक चाही ताहिलेल पब्लिक ओपिनियन अबैक, पछाति मुद्दा’क सेलेक्शन होइ। जखन मुद्दा चुना गेलैक, चुनल मुद्दाकेँ पब्लिक काएल जाएक, पुनि एकबेर लोक सँ अलग-अलग टॉपिक पर फिट वक्ता’ लेल ओपिनियन लेल जाएक। भेटल ओपिनियन मे सँ लोक फाइनल काएल जाएक।

उपरोक्त प्रक्रिया सँ ओ सभटा मुद्दा आयोजन समितिकेँ सोझा एतनि जाहिदिस हुनिक धिआनो नहि गेलनि कहिओ। ओ लोकसभ सेहो सोझा एथिन जनिका हमरा आँहा जनितो नहि छियनि। ओतबए लोकमे झिझिर-कोना खेलबाक पुरना प्रक्रिया आब पूर्णतः बन्न भ जेबाक चाही।

एहिसभ सँ इतर, एहिबेर आयोजनमे पाग वला दोकान, पेटिंग वला दोकान, हस्तकला वला दोकान आ किताब वला दोकानक कोनहुँ फ़ोटो वा सेल्फी नहि भेटल। जौं ई सभ एहिबेर नहि छल त आँहा अपना आयोजनकेँ विफल बुझी। राजनीतिक पर्व समारोह किंवा गतिविधि लेल दिल्लीमे करोड़ो खर्च केनिहार मैथिल, स्टेडियम बुक केनिहार मैथिल जौं अपना भाषा’क लिटरेचर फेस्टिवल लेल एकटा पैघ जगह केर ओरिआन नहि कए सकैत छथि त ई दुर्भाग्यपूर्ण अछि। एहिपर पुनः विचार होइ।

अंतमे : हमरा लगैछि हमर रचना – “गे फुलकुमरि” एकटा ऐतिहासिक रचना अछि। आईधरि कोनहुँ मैथिली कविता किंवा पेहानीमे एहि शब्दकेँ नहि लिखल गेल छल। जौं कोनहुँ अकादमी वा समिति लग एहितरहक रचना लेल कोनहुँ स्पेशल पुरुस्कार अछि त हमरा पठा दिअव। मैथिली’क जय हो।

-Rohit yadav

One thought on “‘फ्लॉप’ रहल मैथिली लिटरेचर फरस्टिवल 2019, लेखक महोदय लोकनि ‘घिनौलनि’

  • नवम्बर 11, 2019 at 11:43 अपराह्न
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