सुप्रीम काेर्ट का आदेश जारी- मजदूरों से किराया न लें, ट्रेन या बस मिलने तक शेल्टर-खाना दें सरकारें

PATNA : घर जाने के िलए दाे महीने से दर-दर भटकते मजदूराें की मदद के िलए गुरुवार काे सुप्रीम काेर्ट काे आदेश जारी करना पड़ा। काेर्ट ने आदेश दिया कि प्रवासी मजदूरों से ट्रेन या बस का किराया न वसूला जाए। यात्रा से पहले अाैर यात्रा के दौरान मजदूरों को खाना-पानी मुहैया करवाना राज्य सरकार अाैर रेलवे की जिम्मेदारी हाेगी। कोर्ट ने स्पष्ट िकया कि ये निर्देश केंद्र नहीं, बल्कि राज्य सरकारों के िलए हैं।

हालांकि, रेलवे को आदेश दिया है कि जब कभी भी राज्य सरकार मजदूरों को घर भेजने के लिए ट्रेन मांगे, रेलवे को उपलब्ध करवानी हाेगी। यात्रा के दौरान रेलवे खाना-पानी का इंतजाम करेगा। बसों में यात्रा के दौरान राज्य सरकारें खाना देंगी। मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की देखरेख राज्य सरकार करेगी। जस्टिस अशाेक भूषण की अध्यक्षता में तीन जजाें की बेंच ने कहा कि प्रवासी कामगारों की संख्या और गृह राज्य भेजने संबंधी अनुरोध जैसे सभी ब्यौरे रिकाॅर्ड में लाए जाएं। अगली सुनवाई 5 जून को होगी।

सुप्रीम काेर्ट लाइव: मजदूराें के टिकट में बिचाैलिए नहीं चाहिए….बेंच के समक्ष केंद्र की अाेर से साॅलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं। वहीं मजदूर संगठनाें की अाेर से इंदिरा जयसिंह अाैर कपिल सिब्बल ने दलीलें रखीं…मेहता: मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं।जस्टिस भूषण: कितनी ट्रेनें चलाई हैं? कितने मजदूरों को मदद मिली? मेहता: 1 से 27 मई के बीच 97 लाख मजदूर घर भेजे जा चुके हैं। यानी 3.36 लाख मजदूर राेज उनके घर पहुंचाए गए।

जस्टिस कौल: गंतव्य तक पहुंचाए गए लाेगाें से क्या पैसे मांगे गए? ट्रेन-बस मिलने तक क्या एफसीआई मजदूरों को भोजन दे सकता है? कोर्ट ने संज्ञान लेकर केंद्र, राज्याें और केंद्र शासित प्रदेशाें काे नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। काेर्ट काे बताया गया कि 18 लाख लोग वापस लाैटे हैं। बिहार में 10 लाख, राजस्थान में साढ़े 7 लाख लोग पहुंचे हैं। कोर्ट ने कि जहां मजदूर पैदल चलते दिखे, उन्हें वाहन की व्यवस्था तक शेल्टर हाेम में रखें।

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