किस्मत: जिंदा थे तो नहीं मिली ट्रेन, मरने के बाद रेलवे ने विशेष ट्रेन से घर भेजा 16 मजदूरों का शव

किस्मत बनाने वाले तुने कमी ना की, किसको क्या मिला यह मुकद्दर की बात है… जी हां जब वह मजदूर जिंदा थे. लाकडाउन में फंसे थे. भूख से बेहाल थे. तब कोई उनकी मदद करने वाला नहीं था. कुछ तो कारण रहा होगा कि वे लोग पैदल हजारों किलोमीटर दूर अपने घर की ओर चल दिए होंगे. वह जानते थे कि रास्ते में पुलिस का पहरा होगा. लाठी चार्ज भी हो सकती है. संभवतः यही कारण रहा होगा कि उन्होंने रोड के बदले रेल ट्रैक को चुना. गांव जाने की उल्लास में कदम बढ़ाते गए. जहां थक गए वहीं सो गए इस उम्मीद से कि कल फिर आगें बढ़ेंगे, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था….

जिंदा थे तो नहीं मिली ट्रेन, मरने के बाद रेलवे ने विशेष ट्रेन से घर भेजा 16 मजदूरों का शव : जब जिंदा थे तो घर जाने के लिए ट्रेन नहीं मिली. अब मरने के बाद रेलवे ने 16 मजदूरों के शव को ट्रेन से आज उनके घर भेजा है. अगर यह ट्रेन एक दिन पहले मिल गई होती तो आज 16 मजदूर जिंदा होते. उनके घर में आज कोहराम नहीं मचा होता. पत्नी विधवा और बच्चे अनाथ नहीं होते. पूरे गांव में शव पहुंचने के बाद कोहराम मचा हुआ है.

औरंगाबाद में हादसे में 16 मजदूरों की मौत के बाद महाराष्ट्र से एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन मध्यप्रदेश के जबलपुर पहुंची. इस ट्रेन में ही दो बोगियों में 16 मजदूरों का शव था. जबलपुर पहुंचने के बाद विशेष ट्रेन से दो बोगियों को उमरिया और शहडोल भेजा गया. इसमें 11 मजदूर शहडोल और 5 उमरिया के रहने वाले थे. सभी के गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा.

कल औरंगाबाद से मध्यप्रदेश 16 मजदूर पैदल ही रेलवे ट्रैक पकड़कर घर जा रहा थे. 35 किमी पैदल चलने के बाद रात हो गई और सभी मजदूर थक गए. जिसके बाद सभी ट्रैक पर ही सो गए. इस दौरान मालगाड़ी आई और 16 मजदूर कट गए. ट्रैक पर सोने वाले कोई भी नहीं बचा. जो मजदूर ट्रैक से दूर सो रहे थे वही बच पाए. सभी मजदूर मजबूर होकर पैदल ही घर जा रहे थे.

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