मनीष कश्यप का बड़ा खुलासा, महागठबंधन सरकार को गिराने के लिए रचा गया तमिलनाडु प्रकरण

पटना : इस वक्त की एक बड़ी खबर राजधानी पटना से सामने आ रही है. मनीष कश्यप गिरफ्तारी मामले में पटना पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. सूत्रों के अनुसार आर्थिक अपराध इकाई द्वारा पूछताछ करने के दौरान मनीष कश्यप ने स्वीकार किया है कि तमिलनाडु प्रकरण के पीछे उसका हाथ है. आसान भाषा में कहा जाए तो मनीष कश्यप पर फेक न्यूज़ चलाने मात्र का आरोप नहीं है. तमिलनाडु प्रकरण में मनीष कश्यप के अतिरिक्त लगभग 50 से ज्यादा यूट्यूब चलाने वाले को बिहार पुलिस द्वारा नोटिस दिया गया था.बिहार के लगभग तमाम अखबार के संपादकों को भी नोटिस दिया गया था. सब से पूछताछ करने के उपरांत माफीनामा पर साइन करने के बाद सब को छोड़ दिया गया. लेकिन मनीष कश्यप के पीछे बिहार पुलिस इसलिए पड़ी है क्योंकि वह इस प्रकरण का मास्टरमाइंड है. फिर से समझ लीजिए कि फेक न्यूज चलाने के कारण मनीष कश्यप को गिरफ्तार नहीं किया गया है. डिटेल में आपको बताते हैं कि मनीष कश्यप ने बिहार पुलिस को क्या कुछ कहा है…

टाइम्स ऑफ स्वराज की रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह ने दावा किया है की मनीष कश्यप ने स्वीकार किया है कि वह बिहार में महागठबंधन सरकार को अस्थिर करना चाहता था. जबसे नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़कर तेजस्वी के संग गठबंधन किया तब से वह नीतीश सरकार के खिलाफ साजिश रच रहा था. तमिलनाडु प्रकरण मामला सामने आने से पहले वह सुनियोजित ढंग से तमिलनाडु गया था और वहां रह रहे मजदूरों के सरदार अर्थात नेता मनोज यादव से मिला था.

मनीष कश्यप ने बताया कि जब वह तमिलनाडु पहुंचा था तब वहां उसकी दोस्ती मनोज यादव से हुई जो झारखंड का रहने वाला है. साजिश का टाइमिंग उस दिन ही क्यों चुना गया जिस दिन तेजस्वी वहां के मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर तमिलनाडु यात्रा पर गए थे तो इस सवाल का जवाब देते हुए मनीष कश्यप ने कहा कि मैं जानता था कि बिहार विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है और तेजस्वी जी वहां के सीएम के बर्थडे पर आने वाले हैं. मनीष कश्यप ने यह भी बताया कि मुझे पता था कि 2 महीना पहले तमिलनाडु में रह रहे बिहारी मजदूरों का स्थानीय लोगों से कुछ विवाद हुआ था. एक तरह से कहा जाए तो तमिलनाडु प्रकरण में व्यापक रूप से प्लानिंग की गई थी.

मनीष कश्यप ने यह भी बताया कि मुझे पता था कि महा गठबंधन सरकार का वोट बैंक मजदूर वर्ग से आते हैं. जो दिल्ली मुंबई कोलकाता असम या तमिलनाडु जैसे शहरों में लेबर ग्रेड का काम करते हैं. लेबड वर्ग के बीच डर का माहौल बनाना उद्देश था. मनीष कश्यप यह भी जानता था कि वीडियो वायरल होने के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता अर्थात यूं कहा जाए तो नेता प्रतिपक्ष विधानसभा में इस बात को लेकर जमकर हंगामा करेंगे.

साजिश के पीछे यह भी मंशा थी कि बिहार से बाहर रह रहे मजदूरों के बीच यह संदेश फैलाया जाए कि बिहार सरकार प्रवासी मजदूरों को पिटवा ने का काम कर रही है और बीजेपी उनका साथ दे रही है. बीजेपी के लोग हमेशा प्रवासी मजदूरों के साथ थे और हैं और रहेंगे.

आर्थिक अपराध इकाई के सूत्रों का कहना है कि कश्यप को जब मोबाइल का सीडीआर दिखाया गया और पूछा गया कि तुम मनोज यादव से क्यों बात कर रहे थे इससे तुम्हारा क्या संबंध है. इस बात का मनीष कश्यप के पास कोई जवाब नहीं था. पुलिस ने पूछा कि आप 2 महीनों से तमिलनाडु के लोगों के साथ क्यों संपर्क में है. मनीष कश्यप के पास इस बात का भी कोई जवाब नहीं था.

फर्जी वीडियो बनाकर आपके पास क्यों भेजा गया था. आपने इसे सर्कुलेट क्यों किया. बिहार पुलिस का दावा है कि पटना के जक्कनपुर की तरह तमिलनाडु में भी तैयार कर पूरी प्लानिंग के साथ मजदूरों का एक नकली वीडियो बनाया गया जिसमें दावा किया गया कि उनको पीटा जा रहा है. पुलिस की मानें तो मनीष कश्यप मनोज यादव को इंस्ट्रक्ट करता था और वीडियो बनाता था.

वहीं दूसरी ओर तमिलनाडु पुलिस का आरोप है कि मनीष कश्यप तिरुपुर में चल रहे वस्त्र उद्योग को डैमेज करना चाहता था. मनीष कश्यप चाहता था कि तमिलनाडु के अधिकांश बिहार और झारखंड के लेबर भागकर अपने अपने घर वापस लौट जाएं. मनीष कश्यप पत्रकारिता करने के बदले उन सभी लोगों को मदद पहुंचा रहे थे जो तिरुपुर के वस्त्र उद्योग को बर्बाद कर देना चाहते थे.

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