गिरफ्तारी देने के बाद भी नहीं रुका मनीष कश्यप के घर कुर्की जब्ती, होशियार बनने के चक्कर में बुरे फंसे
पटना : बिहार में एक कहावत है. जो अधिक होशियार होता है वह तीन जगह टट्टी मखता है. जो मूर्ख होता है वह पैर में लगे गंदगी को कभी टच करने की कोशिश नहीं करता. मनीष कश्यप के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. आसान भाषा में कहा जाए तो चौबे गया छबे बनने दुबे बनकर आ गया. जिस कुर्की जब्ती के डर से मनीष कश्यप ने बिहार पुलिस के सामने खुद को सरेंडर किया उस कुर्की जब्ती को वह अपनी गिरफ्तारी देने के बाद भी नहीं रोक पाया. बिहार पुलिस कुर्की जब्ती करने उसके गांव पहुंची थी और दूसरी और उसने एक थाने में जाकर खुद को सरेंडर कर दिया. बावजूद इसके गांव में पुलिस अपना काम करती रही और कुर्की जब्ती करने के उपरांत सामान लेकर चली गई.
जानकारों की मानें तो जिस मामले में कुर्की जब्ती की जा रही है वह तमिलनाडु प्रकरण नहीं है. पटना हाई कोर्ट से बेल याचिका रद्द होने के बाद विगत 1 साल से मनीष कश्यप एक अन्य मामले में फरार है. सबसे आश्चर्य वाली बात यह है कि विगत 1 साल से मनीष कश्यप जगह-जगह घूमकर रिपोर्टिंग कर रहे थे और बिहार पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही थी. इसी बीच जब तमिलनाडु प्रकरण ने तूल पकड़ा तो मनीष कश्यप का पुराना मामला सामने आया. फिर क्या था मनीष कश्यप के खिलाफ बिहार पुलिस एक के बाद एक एक्शन लेने लगी. पहले उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया. फिर उसके बैंक खाते को सीज किया गया.

जानकारों की मानें तो तमिलनाडु प्रकरण सामने आने के बाद अगर तुरंत मनीष कश्यप खुद थाने पहुंचकर बिहार पुलिस को पूछताछ में सहयोग करने का आश्वासन देते तो संभव था कि उनको गिरफ्तार नहीं किया जाता. घर की कुर्की जब्ती दही होती. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. खुद को पावरफुल बताने के चक्कर में और तेजस्वी यादव को चैलेंज करने की चक्कर में मनीष कश्यप एक के बाद एक गलती करते चले गए.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर उनको विश्वास था उन्होंने भी इस बार उनका साथ नहीं दिया. क्योंकि मामला मात्र बिहार पुलिस का नहीं बल्कि तमिलनाडु पुलिस का भी था. बिहार पुलिस में मनीष कश्यप की बहुत कितनी है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जमानत रद्द होने के बाद भी 1 साल से वह खुलेआम घूम रहा था.
अब आर्थिक अपराध इकाई उससे पूछताछ कर रही है. बेल के लिए उसे पटना हाई कोर्ट जाना ही होगा. अगर बिहार के सारे मामले में उन्हें जमानत मिल ही जाती है तो संभव है कि तमिलनाडु पुलिस उन्हें रिमांड पर लेगी.
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