4 जून, 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर राजस्थान के दो महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि क्षेत्रों- मेनार (उदयपुर) और खिंचन (फलोदी) को अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थल घोषित किया गया है। इस घोषणा से राजस्थान चार रामसर स्थलों वाला राज्य बन गया है, जिसमें केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान और सांभर झील पहले से ही शामिल हैं।
खिंचन: डेमोइसेल क्रेन का अभयारण्य
फलोदी जिले में स्थित खिंचन गांव में हर साल अगस्त से मार्च तक हजारों डेमोइसेल क्रेन (कुरजा) आते हैं। यह परंपरा 1970 के दशक में एक स्थानीय जोड़े द्वारा पक्षियों को दाना खिलाने से शुरू हुई थी और अब यह एक सामुदायिक प्रयास बन गया है। वर्तमान में, खिंचन में 30,000 से अधिक क्रेन आते हैं। स्थानीय लोग और जैन व्यापारी इस प्रयास में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, जिससे यह स्थल पक्षी प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन गया है।
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मेनार: पक्षी गांव का प्रतीक
उदयपुर जिले का एक छोटा सा गांव मेनार, “पक्षी गांव” के रूप में जाना जाता है। यह स्थल विशेष रूप से अपने समुदाय-प्रेरित संरक्षण प्रयासों के लिए प्रसिद्ध है। मेनार में दो झीलें- ब्रह्म तालाब और ढांध तालाब- प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान करती हैं। हर साल यहाँ 180 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ देखी जाती हैं, जिनमें से कई वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण हैं। स्थानीय समुदाय ने शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया है और वन विभाग के सहयोग से पक्षियों की निगरानी और संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
रामसर साइट का महत्व
रामसर साइट का दर्जा इन आर्द्रभूमियों को अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण समर्थन प्राप्त करने, जैव विविधता संरक्षण, पर्यावरण शिक्षा और इकोटूरिज्म को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस उपलब्धि पर खुशी जताई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने इसे राज्य के लिए गौरव का क्षण बताया है।
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निष्कर्ष
मेनार और खिंचन को रामसर साइट के रूप में मान्यता मिलना राजस्थान और भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय उपलब्धि है। यह कदम न केवल इन क्षेत्रों की जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद करेगा बल्कि स्थानीय समुदायों को पर्यावरण जागरूकता और सतत विकास के लिए प्रेरित भी करेगा।