नहीं रही मिथिला पेंटिंग और सुजनी कला की सिद्धहस्त शिल्पी कर्पूरी देवी, श्रद्धांजलि

मिथिला पेंटिंग व सुजनी कला की सिद्धहस्त शिल्पी कर्पूरी देवी का सोमवार की देर रात नि’धन हो गया। वे 90 वर्ष की थीं। वे लंबे समय से बीमार चल रही थीं। उनका इलाज शहर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। अंतिम समय में उनके साथ उनकी बेटी नेशनल अवार्डी मोती कर्ण और भतीजा विपिन दास भी थे। बेटी ने ही परिजनों को उनके नि’धन की खबर दी। उनको नेशनल मेरिट सर्टिफिकेट सहित कई अन्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

भारत ही नहीं, जापान, अमेरिका व फ्रांस समेत दुनिया के कई देशों में उनकी कला ने अपनी पहचान बनाई है। शहर से सटे रांटी गांव की रहने वाली शिल्पी कर्पूरी देवी के नि’धन से कला जगत मर्माहत है। रात से ही अस्पताल में इस महान हस्ती के अंतिम दर्शन करने वाले लोगों का तांता लग गया। कर्पूरी देवी को मिथिला पेंटिंग व सुजनी कला दोनों में महारत हासिल थी।

कर्पूरी देवी चार बार जापान, दो बार अमेरिका और एक बार फ्रांस जा चुकी थीं। उन्हें 1986 में भारत सरकार ने नेशनल मेरिट सर्टिफिकेट से नवाजा था। वहीं 1980-81 में बिहार सरकार से राज्य पुरस्कार और 1983 में श्रेष्ठ शिल्पी पुरस्कार मिला था। इसके अलावा वे अन्य दर्जन भर से अधिक अवार्ड प्राप्त कर चुकी थीं।

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