Mr. प्राइम मिनिस्टर ! देश के सर्वोच्च पद पर बैठे शख्स का इस तरह झूठ बोलना शोभा नहीं देता

रविश कुमार

रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री मोदी ने एक समुदाय को ‘इनके’ कह कर संबोधित किया। कहा कि इनके हाथ में तिरंगा देख कर सुकून होता है। कभी यही तिरंगा लेकर ये आ-तंकवाद के ख़िलाफ़ भी बोलेंगे।

इसी के चंद मिनट पहले वो कहते ध-र्म के आधार पर विभाजन नहीं करते। वैसे पिछले ही हफ़्ते झारखंड में कपड़े के आधार पर पहचानने की बात कर रहे थे। रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री फिर से एक समुदाय विशेष की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि इनके हाथों का तिरंगा कभी आ-तंकवाद के ख़िलाफ़ भी उठे।

यही सार है उनके भाषण का।लोग तालियाँ बजाने लगे। लेकिन क्या आपको पता है कि 2008 के साल में दारु़ल उलूम के नेतृत्व में 6000 मुफ़्तियों ने आ-तंकवाद के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पर दस्तखत किए थे। उसी साल इसी रामलीला मैदान में आ-तंकवाद की निंदा करते हुए बड़ी सभा हुई थी और ऐसी सभा देश के 200 शहरों में हुई थी। जिसमें कई मु-स्लिम धार्मिक संगठनों ने हिस्सा लिया था।

यही नहीं 2015 में जब सीरिया में I-SIS का ज़ोर था तब इन्हीं संगठनों ने भारत में 70 से अधिक सभाएँ कर इसकी निंदा की थी। रामलीला मैदान में आज इप्रधानमंत्री इस भरोसे बोल गए कि आप नागरिक उनकी बातों को चेक नहीं करेंगे। जो कहेंगे मान लेंगे। मीडिया भी इसे फैलाएगा और आप समझने लगेंगे कि मुसलमान तिरंगा लेकर आ-तंकवाद का विरोध नहीं करता है। आप तीनों तस्वीरें ज़रूर देखिए।

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