उसने बहुत ही जोरदार आवाज़ में कहा ‘वह विकास लाएगा, उसने एक नहीं कई मंचों से कहा कि वही विकास लाएगा

उसने बहुत ही जोरदार आवाज़ में कहा ‘वह विकास लाएगा । उसने एक नहीं कई मंचों से कहा कि वही विकास लाएगा।
जनता ने बड़े ही आश्चर्य से पूछा- ‘भला तुम विकास कैसे ले आओगे? जो इतने सालों से आ ही रहा है,फिर भी नहीं आया,मतलब होगा तो बहुत बड़ा ना! उसने फिर कहा-‘यकीन मानों मैं ही विकास लाऊँगा।’ जनता ने फिर पूछा- ‘लेकिन कुछ तो प्रक्रिया होगी उसके आने की? बताओ विकास कैसे आएगा, तुम ऐसा अलग क्या करोगे जब विकास हमको आता हुआ दिखने लगेगा ?’
उसने कहा-‘बस साठ महीने दे दो फिर देखो विकास कैसे आता है।’ उसे यह अच्छे से पता है, विकास जनता की दुःखती नब्ज है, जैसे ही इसका नाम लो जनता आशावान हो उठती है । आख़िर जनता ने बहुत सोचते हुए उसे साठ महीने दे दिये ।
जब साठ महीने पूरे हो गए,तब जनता ने पूछा -‘विकास कहाँ है?’ उसने कहा- ‘विकास को लाना कोई खेल है क्या,पाँच साल हुए नहीं कि विकास-विकास चिल्ला रहे हो, मुझसे पूछने से पहले नेहरू से पूछो, पता करो उसने विकास को कहाँ छोड़ दिया था,तब तुम्हें पता चलेगा विकास कितना पीछे छूट गया है।’
जनता ने कहा- ‘अब हम नेहरू को कहाँ ढूंढे और विकास लाने का वादा भी तो तुम्हीं किए थे, इसलिए तुम्ही बताओ विकास कहाँ अटक गया है?’ उसने कहा-‘मुझे फिर साठ महीने दे दो, तब विकास थोड़ा-थोड़ा दिखने लगेगा।’
आशावादी जनता ने फिर साठ महीने दे दिए ।

तभी एक दिन पगलाया हुआ विकास दिल्ली में नज़र आया है । उसकी पागलपन ने पूरी दिल्ली को धुंध से ढँक रखा है । लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है । लोग घरों से बाहर निकलना नहीं चाह रहे हैं । उनकी सांसो में जलन हो रही है । लोग चेहरे पर मास्क लगाए घूम रहे हैं, बस पीठ पर ऑक्सीजन का सिलेंडर लगाना बाकी रह गया है ।

तभी किसी ने टीवी खोला,टीवी पर देखा कि मंदिर-मस्जिद पर घमासान मचा हुआ है, स्टूडियो में लप्पड़-थप्पड़ चल रहा है । एंकर फैसले पर फैसले सुना रहे हैं,विकास की बात करते-करते वो चिल्लाना शुरू कर दिए हैं । एंकर अचानक खांसने लगे,ग्लास का ग्लास पानी पी जा रहे हैं । विकास का पागलपन उनपर भी सवार हो गया है। पहली नज़र में देखने पर यही लग रहा कि उन्होंने पैसा खाया है,जो हजम नहीं हो पा रहा है । रात के नौ बजते ही इनकी बदहजमी सामने आने लगती है,अब तो यह इतना वृहत हो गया है कि स्टूडियो में बस धुंआ ही धुंआ दिखता है ।

तभी किसी ने विकास को ढूंढते हुए ट्विटर खोला, सारे बुद्धिजीवी त्राहिमाम कर रहे हैं,सब को स्ट्रोक आने का डर सता रहा है । सब गैस के चेम्बर से बाहर आना चाहते हैं, सरकार की चाटुकारिता में लेख लिखना चाहते हैं । यदि यमराज उनकी आत्मा को ना ले जाने का वादा करे तो वो दिल्ली की स्वच्छ हवा पर भी एक बढ़िया लेख लिख देंगे ! यदि ये सब मारे गए तो ना जाने कितने मैगज़ीन के पन्ने खाली रह जाएंगे..

तभी किसी ने उस धुंध से पूछा- ‘क्या तुम्हीं विकास हो?’ उसने जवाब दिया- ‘नहीं मैं तो विकास नहीं हूँ,लोग मुझे प्रदूषण कहते हैं’ । जनता ने फिर पूछा-‘तो विकास कौन है?’ प्रदूषण ने कहा ‘वो अभी पैदा ही लेने वाला है।’जनता ने पूछा ‘तो तुम कैसे पैदा लिए’?प्रदूषण ने कहा- ‘तुम्हारे पटाखों से,उद्योगों से,निर्माण कार्य से,परालियों के जलाने से मेरा जन्म हुआ है।’जनता ने बड़े गुस्से में कहा, ‘ये सब तो मुझे भी पता है,कुछ अंदरूनी बात जानते हो, तो बताओ।’

प्रदूषण ने बहुत ही लजाते हुए बताया, ‘मेरा जन्म(प्रदूषण) तो हरियाणा की राजनीति से हुई है।’ जनता ने बहुत ही उत्साहित होकर पूछा,’वो कैसे भला’ ! प्रदूषण ने बताया, ‘दुष्यंत चौटाला अब सत्ता की मलाई खाने को तैयार है । जब वो चुनाव लड़ रहा था तब उसके सुर अलग थे, अब तो सुर क्या वही पूरा का पूरा बदल चुका है। एक राज़ की बात बताऊँ, चौटाला को विकास के पैदा होने का राज़ पता चल गया है,तभी तो उसका बाप जेल से निकला है। और तो और केजरीवाल कांग्रेसियों को हटाकर सत्ता में बैठे हैं इसलिए कैप्टेन अमरेंद्र सिंह का भी हाथ है यहाँ का हवा बिगाड़ने में।’

‘अच्छा तो तुमको रोकने के लिए केजरीवाल ने क्या किया?’ जनता ने पूछा । प्रदूषण ने कहा, ‘भला वो क्या कर सकते हैं,वो तो खुद छींकते-खाँसते किसी तरह सरकार चला रहे हैं । वो तो खुद ऐसे प्रदूषण के शिकार हैं जो उनपर और उनके मंत्रियों पर छापा मारती रहती है,फाइलें ही जब्त करवा देती है । जिनकी दिल्ली पुलिस नहीं सुनती उसकी मैं क्या सुनूंगा!’

जनता ने पूछा- ‘अच्छा ये बताओ तुम कब जाओगे ?’ प्रदूषण ने बड़े आत्मविश्वास से कहा- ‘फिलहाल मैं यहीं रहने वाला हूँ,जाने वाले तो तुम सब हो इस दुनिया से।’

फिर जनता ने उससे(पहले व्यक्ति) पूछा- ‘विकास कहाँ है?’ उसने जवाब दिया, ‘मैंने एयर स्ट्राइक की, नोट बन्दी की, gst लागू किया,अनुच्छेद 370 के ज्यादतर प्रावधान खत्म कर दिए और राम मंदिर निर्माण से बड़ा कोई विकास हो सकता है क्या? तुम ये विकास कैसे भूल सकते हो, हमने मुगलसराय को दीनदयाल उपाध्याय कर दिया, इलाहाबाद को प्रयागराज कर दिया है।’ यदि पाँच साल में ही सब कुछ कर देंगे तो आगे के लिए क्या बचेगा ?
‘तो आखिर तुम्हारे इस विकास से प्रदूषण क्यों फैल रहा है’ जनता ने पूछा । उसने बड़े सख्त आवाज़ में कहा, ‘जाओ नेहरू से पूछो,एक बार दिल्ली और पंजाब में मेरी सरकार बना दो, दिल्ली को प्रदूषण मुक्त कर दूँगा।’
जनता अब सोच रही है..

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