CM नीतीश ने मुकेश सहनी को मंत्री पद से हटाया, BJP से झ’गड़ा सन आफ मल्लाह को भारी पड़ गया
PATNA-भाजपा के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को भेजी सिफारिश, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी राज्य मंत्रिमंडल से हटाए गए, यूपी चुनाव से ही बढ़ी भाजपा से मुकेश सहनी की दूरी : बिहार में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम में मुकेश सहनी अब राज्य मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं रहे। रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के पत्र पर राज्यपाल फागू चौहान से उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से पदमुक्त करने की सिफारिश कर दी। सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सिफारिश पर मुहर लगा दी है। हालांकि देर रात तक राजभवन ने मीडिया को इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी।
विदित है कि मुकेश सहनी नीतीश सरकार में भाजपा की अनुशंसा पर ही मंत्री बनाए गए थे। रविवार को भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को श्री सहनी को पदमुक्त करने को लेकर दो पत्र मिले। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल और भाजपा विधानमंडल दल के नेता तथा उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने पत्र भेजकर मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के तीनों विधायक अब भाजपा का हिस्सा हैं। उनका भाजपा विधायक दल में विलय हो चुका है। इसलिए अब वीआईपी के पास कोई विधायक नहीं बचा है। साथ ही, अब वीआईपी राजग का हिस्सा नहीं है। इसलिए मुकेश सहनी को पदमुक्त कर दिया जाए। भाजपा के इन दोनों पत्रों के बाद मुख्यमंत्री ने वीआईपी प्रमुख सहनी को मंत्रिमंडल से हटाने की सिफारिश राज्यपाल से कर दी।

भाजपा से ही था वीआईपी का गठबंधन : वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए में सीट शेयरिंग जदयू-भाजपा के बीच हुई थी। पहले चरण के इस बंटवारे के बाद वीआईपी का समझौता भाजपा और हम का समझौता जदयू से हुआ। एनडीए के इन दोनों मुख्य दलों ने अपने हिस्से में आई सीटों में से वीआईपी और हम को सीटें दी थीं। भाजपा से वीआईपी के समझौते में भूमिका गृहमंत्री अमित शाह की थी। अब बोचहां उप चुनाव में जब मुकेश सहनी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है और भाजपा कोटे से मंत्रिमंडल में रहने के बावजूद वे उसके उम्मीदवार के खिलाफ बतौर मंत्री प्रचार में जाते तो स्थिति असहज होती। उसके पहले ही उनकी सरकार से छुट्टी हो गई।
गठबंधन आपसी समझदारी का आधार होता है। मुख्यमंत्री की यह अनुशंसा उसी के अनुकूल उठाया गया कदम है। मुकेश सहनी एनडीए में भाजपा के ही माध्यम से थे। अब जब भाजपा ने ही लिख दिया कि श्री सहनी एनडीए में नहीं हैं और उन्हें पदमुक्त कर दिया जाए तो यह आपसी समझदारी की वांछनीयता थी।-विजय कुमार चौधरी, संसदीय कार्य मंत्री
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