नागपंचमी आज, घर-घर होगी नागदेवता की पूजा, शिवालयों में दर्शन पूजन की अनुमति नहीं

PATNA : आज श्रद्धा भक्ति भावना से नागपंचमी मनाया जाएगा। नागपंचमी के दिन घर-घर नागदेवता व महादेव की पूजा अर्चना की जाएगी। साथ ही नागदेवता से सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी। नागपंचमी की तैयारी लोगों ने एक दिन पहले ही कर ली। बाजार में नागदेवता की फोटो व पूजा सामग्री की खरीदारी की।

हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी मनाया जाता है। इस बार 25 जुलाई नागपंचमी मनाई जाएगी। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के बाद हस्त नक्षत्र रहेगा। इस दौरान मंगल वश्चिक लग्न में होंगे। खास संयोग यह है कि इसी दिन कल्कि भगवान की जयंती भी पड़ रही है। इसी दिन विनायक चतुर्थी व्रत का पारण होगा। पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि नागपंचमी के दिन नाग देवता के स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। साथ ही मनचाहा वरदान का फल भी मिलता है। इसके अलावा जिन जातकों पर काल सर्प का दोष है। उनके लिए भी नागपंचमी अहम माना गया है। इस दिन सर्पों की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं। काल सर्प दोष से ग्रसित जातकों को दोष से मुक्ति मिलती है। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें तो विशेष तौर पर नागपंचमी को विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

नाग पंचमी के देव : नागपंचमी पूजा और व्रत के आठ नाग देव माने गए हैं। इसमें अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट व शंख नामक अष्टनागों की पूजा की जाती है। नागपंचमी पर वासुकि नाग, तक्षक नाग और शेषनाग की पूजा का विधान है।

नागपंचमी का महत्व : हिन्दू धर्म में मान्यता है कि सर्प ही धन की रक्षा करते हैं। धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही धनलक्ष्मी का फल भी मिलता है।

नागपंचमी की पौराणिक मान्यता : पौराणिक मान्यता है कि देवताओं व असुरों के बीच समुद्र मंथन के समय विष भी निकला था। लेकिन विष का कोई सेवन नहीं करना चाहता है। ब्रह्माण की रक्षा के लिए भगवान शिव ने विष का सेवन किया। हालांकि विष का सेवन करते समय कुछ बूंदे समुद्र में गिर गई। जिसका सर्प ने सेवन कर लिया। इससे सर्प विषैले हो गए। सर्पदंश से बचने के लिए नागदेवता की पूजा की जाती है।

कोरोना महामारी का असर : इस साल कोरोना महामारी का असर नागपंचमी पर भी देखने को मिलेगा। प्राचीन शिवालयों में दर्शन पूजन की अनुमति नहीं होगी। अधिकांश लोग घरों में ही विधि विधान से पूजा अर्चना करेंगे। हर साल नामपंचमी पर जगह-जगह विराट कुश्ती दंगल भी होती थी। लेकिन इस साल कुश्ती दंगल पर पूरी तरह रोक लगी है। प्राचीन शिवालयों के समीप मेला भी नहीं लगने से लोगों में मायूसी बनी है।

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