नम आंखों से श’हीद बेटे की अर्थी को मां ने दिया कंधा, 7 महीने के बेटे ने मुखाग्नि देकर दी विदाई

PATNA: मां ने बताया कि डेढ़ साल में राजिंदर सिर्फ दो बार घर आया। आखिरी बार मार्च 2019 में वह घर आया था। तीन दिन पहले ही उसकी घर वालों से बात हुई थी, लेकिन सोचा नहीं था कि यह आखिरी बार होगी। श’हीद के भाई ने बताया कि राजिंदर के परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी। इसलिए वह सेना में भर्ती हुआ था। देश सेवा का जुनून तो उसमें बचपन से ही था। उसके सेना में जाने से परिवार भी संभल गया था। 

श’हीद राजिंदर सिंह का अंतिम संस्कार सरकारी सम्मान के साथ उनके गांव पब्बांराली में ही किया गया। श’हीद की अ’र्थी को मां पलविंदर कौर ने कंधा दिया। श’हीद के भाई दलविंदर सिंह और सात महीने के बेटे गुरनूर सिंह ने चिता को मु’खाग्नि दी। जवानों ने तिरंगा सम्मान सहित परिवार को सौंपा। वहीं हलका डेरा बाबा नानक से विधायक और कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा भी श’हीद के परिवार को सांत्वना देने आए।

मां पलविंदर कौर ने कहा कि वह गर्व महसूस कर रही है। उसके बेटे ने देश की खातिर श’हादत दी और यह बलिदान कभी भी भुलाया नही जा सकता। श’हीद की पत्नी रंजीत कौर ने कहा कि अब आर पार की लड़ाई होनी चाहिए, ताकि और किसी सुहागन का घर न उजड़े। जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के पास माछिल सेक्टर में तैनात पंजाब के बटाला के गांव पब्बांराली कलां निवासी लांस नायक राजिंदर सिंह आ’तंकवादियों की घु’सपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए श’हीद हो गए थे। उनका पार्थि’व शरीर पैतृक गांव पहुंचा। जैसे ही श’हीद राजिंदर सिंह के तिरंगे में लिपटे पार्थिव श’व को साथी सैनिकों द्वारा गाड़ी से उतारा गया तो कोहराम मच गया। वहीं ग्रामीणों ने भारत माता के जयकारे लगाए।

मंत्री रंधावा ने पंजाब सरकार की तरफ से श’हीद के परिवार को एक्स ग्रेसिया ग्रांट के तहत 12 लाख रुपए और एक सदस्य को शिक्षा के आधार पर सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया। गांव के स्कूल का नाम भी शहीद के नाम पर रखने के लिए कहा। बता दें कि राजिंदर सिंह चार साल पहले ही राष्ट्रीय रायफल 57 आरआर में भर्ती हुए थे और श्रीनगर में तैनात थे। डेढ़ साल पहले शादी हुई थी, जिसके बाद बेटा गुरनूर हुआ।

 

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