नल जल योजना में गड़बड़ी होनेे पर पंचायत के मुखिया-सचिव को जाना होगा जेल, बिहार सरकार का आदेश जारी

गांवों में नल से जल मिलने में परेशानी हुई तो मुखिया और पंचायत सचिव दोषी होंगे। पंचायती राज विभाग ने सभी जिला पंचायती राज पदाधिकारियों को कहा है कि वो सरकार के इस फरमान को हर पंचायतों तक पहुंचा दें। पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाली मीणा ने कहा कि मुखिया और पंचायत सचिवों ने 3 दिनों के अंदर वार्डों को पेयजल योजना के मेंटेनेंस योजना की राशि अगर वार्डों में नहीं भेजी तो ग्राम पंचायत को ही इसका जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के तहत हर वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों को अनुरक्षण अनुदान के रूप में पूरे साल में 24 हजार रुपये देनी है। लेकिन अनेक पंचायतों में यह राशि नहीं दी गई है। इसके कारण नल से जल योजना के रखरखाव में परेशानी हो रही है। यदि किसी भी वार्ड में पेयजल योजना का संचालन प्रभावित होता है तो उसके लिए संबंधित ग्राम पंचायत को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। विभाग ने सभी पंचायत के मुखिया से यह अपेक्षा भी की है कि वे अपने अपने पंचायत के वार्ड में पेयजल आपूर्ति योजना का संचालन सुनिश्चित कराएं।

नमामि गंगे परियोजनाओं की दिक्कतें सरकार जल्द दूर करेगी
उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने नमामि गंगे की सभी 30 परियोजना की समीक्षा के बाद कहा कि कठिनाइयों को जल्द दूर करेंगे। राज्य सरकार के स्तर पर परियोजना के क्रियान्वयन में आ रही अंतर विभागीय कठिनाइयों को आपसी समन्वय से अविलंब दूर करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत गंगा की स्वच्छता एवं सफाई के साथ घाटों के पास आवश्यक नागरिक सुविधाओं का डीपीआर तैयार कर तेजी से समुचित कार्रवाई करने के लिए कहा है।

वे नमामि गंगे परियोजना के कार्यपालक निदेशक एवं बुडको के प्रबंध निदेशक के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत कटिहार जिला के मनिहारी गंगा घाट पर विद्युत शवदाह गृह, साफ-सफाई, पहुंच पथ, पार्क समेत अन्य नागरिक सुविधाएं सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। ऐसा हो जाने पर मनिहारी गंगा घाट पर्यटन स्थल बनेगा, जिससे यहां बड़ी संख्या में तथा सैलानी आएंगे। केंद्र सरकार के नमामि गंगे परियोजना के कार्यपालक निदेशक (ईडी) अशोक कुमार सिंह ने बैठक में सुझाव दिया कि विश्व बैंक द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं के क्रियान्वयन में प्रक्रियात्मक विलंब होने से असहज स्थिति उत्पन्न होती है। इसके लिए सुगमता के दृष्टिकोण से बिहार सरकार के स्तर पर स्वीकृति की प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है, जिससे फास्टट्रैक डेवलपमेंट को गति मिल सके।

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